मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने 28 जुलाई को राज्य के मुख्य सचिव और राज्य चुनाव आयुक्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि पंचायत चुनाव जैसे संवेदनशील मसले पर कार्यवाही करते समय प्रशासनिक अधिकारियों की भाषा दक्षता और कार्यक्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अदालत का सवाल:
क्या ए.डी.एम. स्तर का ऐसा अधिकारी, जिसे अंग्रेजी बोलने या समझने का ज्ञान नहीं है, वो कार्यकारी दायित्वों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सकता है?
मामले की सुनवाई के दौरान एडीएम विवेक राय और एसडीएम मोनिका कैंची व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित रहे। न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई कि जब उच्च स्तर के प्रशासनिक अधिकारी ही बुनियादी भाषाई दक्षता से वंचित हैं, तो वे संवैधानिक प्रक्रियाओं और निर्देशों को सही तरीके से कैसे लागू करेंगे?
बाहरी लोगों के नाम हटाने की मांग
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि ग्रामसभा बुधलाकोट की वोटर लिस्ट में क्षेत्र से बाहर के लोगों के नाम अवैध रूप से जोड़े गए हैं। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इन नामों को हटाया जाए और पंचायत चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाया जाए।
क्या कहता है संविधान?
संविधान की धारा 243K पंचायत चुनावों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की बात करती है। ऐसे में यदि अधिकारियों को न तो प्रक्रिया की भाषा समझ आती है और न ही वे संचार योग्य हैं, तो चुनाव की निष्पक्षता संदेह के घेरे में आ सकती है।