लैंसडाउन: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में आज गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर (जीआरआरसी) में आयोजित होने वाले ‘शहीद सम्मान यात्रा 2.0’ के समापन समारोह को लेकर एक कथित आधिकारिक पत्र वायरल हो गया है। पत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दौरे के दौरान केवल भाजपा नेताओं को आमंत्रित करने का उल्लेख है, जिससे राजनीतिक विवाद भड़क उठा है। विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे ‘प्रशासनिक मर्यादा का उल्लंघन’ बताते हुए कड़ी निंदा की है, जबकि प्रशासन ने अभी तक इसकी पुष्टि या खंडन नहीं किया है।
घटना का विवरण
‘शहीद सम्मान यात्रा 2.0’ का शुभारंभ 25 सितंबर को देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया था। यह यात्रा प्रदेशभर में शहीद सैनिकों के सम्मान में निकाली गई, जिसमें विभिन्न जिलों से शहीदों की मिट्टी एकत्र की गई।3dd28c आज लैंसडाउन में होने वाले समापन समारोह में मुख्यमंत्री धामी शहीद सैनिकों के आश्रितों को ताम्रपत्र प्रदान करेंगे और शहीद धाम निर्माण के लिए मिट्टी का एकीकरण होगा।8526c6 कार्यक्रम में सैन्य परेड, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और शहीदों को श्रद्धांजलि देने का प्रावधान है।1bc8e2
हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल एक पत्र ने इस समारोह की छवि धूमिल कर दी है। जिलाधिकारी (डीएम) कार्यालय पौड़ी गढ़वाल से जारी होने का दावा करने वाले इस पत्र में तहसीलदारों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे केवल भाजपा के जिला और मंडल स्तर के नेताओं को आमंत्रित करें। पत्र में जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों या बुद्धिजीवियों का कोई उल्लेख नहीं है। पत्र की कॉपी में डीएम कार्यालय का लोगो, ईमेल ([email protected]) और फोन नंबर (01368-22250) स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं, साथ ही तारीख 5.10.2025 अंकित है।
विपक्ष का रोष: ‘शहीदों का अपमान’
विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस पत्र को ‘लोकतंत्र पर हमला’ करार दिया है। एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “अगर यह पत्र सच्चा है, तो यह प्रशासनिक मर्यादा की पराकाष्ठा है। गढ़वाल रेजीमेंट सेंटर लैंसडाउन में मुख्यमंत्री के आगमन संबंधी पत्र में जिलाधिकारी कार्यालय से प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सिर्फ भाजपा नेताओं को आमंत्रित किया गया है – न जनता के प्रतिनिधि, न सामाजिक संगठन और न ही बुद्धिजीवी वर्ग। क्या अब शहीद भी मात्र भाजपा के हो गए हैं? क्या देशभक्ति और सैन्य गौरव का मंच भी पार्टी की चौपाल बन जाएगा? यह सिर्फ एक पत्र नहीं, यह लोकतंत्र की रीढ़ तोड़ने वाला दस्तावेज है। जहां प्रशासन सत्ता के आगे नतमस्तक है, और शासन-प्रशासन की सीमा मिट चुकी है।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर डीएम कार्यालय से इस तरह का पत्र गया है, तो यह न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है बल्कि राजनीतिक पक्षपात की खुली स्वीकारोक्ति भी है। शहीदों की मिट्टी पर राजनीति करने वालों, शहीदों का इससे बड़ा अपमान कोई नहीं हो सकता कि उन्हें तुममें एक पार्टी विशेष का बना दिया।”
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इसकी निंदा की है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, “शहीद सम्मान का नाम लेकर राजनीतिक लाभ लेना घिनौना अपराध है। हम इसकी जांच की मांग करते हैं।” इसी बीच, भाजपा नेताओं ने पत्र की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं और इसे ‘विपक्ष की साजिश’ बताया है।
प्रशासन की चुप्पी, सैन्य अधिकारियों का रुख
जिलाधिकारी कार्यालय से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। जब पत्रकारों ने संपर्क करने की कोशिश की, तो अधिकारियों ने ‘जांच के अधीन’ कहकर टाल दिया। गढ़वाल रेजीमेंट सेंटर के अधिकारियों ने कहा कि कार्यक्रम पूरी तरह सैन्य और सरकारी प्रोटोकॉल के तहत है, जिसमें सभी वर्गों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। हालांकि, वे आमंत्रण पत्र के विवरण पर टिप्पणी करने से बचते नजर आए।
पृष्ठभूमि: गढ़वाल रेजीमेंट का गौरव
गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर लैंसडाउन उत्तराखंड का गौरव है, जहां 1887 से सैनिकों को प्रशिक्षित किया जाता है। यह केंद्र शहीदों की वीरता की अमिट कहानी बयां करता है। ‘शहीद सम्मान यात्रा 2.0’ का यह समापन एक ऐतिहासिक अवसर था, जो अब राजनीतिक रंग ले चुका है।
आगे क्या?
यह विवाद मुख्यमंत्री धामी के दौरे के दौरान और तेज हो सकता है। विपक्ष चुनाव आयोग और राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग कर रहा है। फिलहाल, कार्यक्रम निर्धारित समयानुसार आयोजित होने की उम्मीद है, लेकिन पत्र की सत्यता की जांच जारी है। यदि यह सिद्ध होता है कि प्रशासन ने पक्षपात किया, तो यह उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा भूकंप ला सकता है।