“मेरी जानकारी के बिना छात्रों ने खुद उठाया यह कदम”
निलंबन के बाद जारी अपने पत्र में अंजू मनादुली ने कहा कि वीडियो को गलत मंशा से वायरल किया गया। उन्होंने बताया कि छात्रों ने किसी के कहने पर नहीं, बल्कि सेवाभाव से यह काम किया।
“स्कूल के मुख्य द्वार से कक्षाओं तक जाने वाले मार्ग पर बारिश के कारण कीचड़ जमा हो गया था। कई बार छात्र और शिक्षक वहां फिसल चुके थे। बच्चों ने पहले भी अनुरोध किया था कि इस हिस्से पर बजरी डलवाई जाए, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते यह संभव नहीं हो सका। सोमवार को छात्रों ने अचानक स्वयं ही स्कूल परिसर में पड़ी बजरी उठाकर रास्ता समतल करने का काम शुरू कर दिया। यह कार्य उन्होंने भोजनावकाश के दौरान किया, जिसकी जानकारी मुझे बाद में मिली।”
प्रधानाध्यापिका ने कहा कि छात्रों की मंशा सिर्फ यह थी कि स्कूल साफ-सुथरा रहे और शिक्षक खुश हों, लेकिन इस सेवा कार्य को मजदूरी बताकर गलत अर्थों में प्रचारित किया गया।
“स्थानीय व्यक्ति कर रहा है दुष्प्रचार”
प्रधानाध्यापिका अंजू मनादुली ने अपने पत्र में गंभीर आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यालय के पास रहने वाले वीरेंद्र डंगवाल नामक व्यक्ति लंबे समय से उन्हें परेशान कर रहा है।
“उसे इस बात से आपत्ति है कि यहां गरीब परिवारों और मुस्लिम समुदाय के बच्चे पढ़ते हैं। कई बार वह स्कूल में दाखिले को लेकर भी आपत्तियां दर्ज करा चुका है और माहौल बिगाड़ने का प्रयास करता रहा है।”
अंजू मनादुली ने दावा किया कि उक्त व्यक्ति पहले भी उन्हें धमकियां दे चुका है, और जब उसका दबाव काम नहीं आया तो उसने सोमवार को बच्चों का वीडियो गलत मंशा से वायरल कर दिया।
“58 साल की उम्र में ऐसे आरोप असहनीय”
प्रधानाध्यापिका ने कहा कि 58 वर्ष की आयु में उन पर लगे आरोप न केवल असत्य हैं, बल्कि उनकी 30 वर्ष की शिक्षण सेवा पर धब्बा लगाने वाले हैं।
“मैंने हमेशा छात्रों को अनुशासन, स्वच्छता और सेवा भाव की शिक्षा दी है। लेकिन इस घटना को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया, जिससे मेरी व्यक्तिगत और व्यावसायिक छवि को ठेस पहुंची है।”
विभागीय जांच जारी
उधर, जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच रिपोर्ट के बाद ही यह तय होगा कि वायरल वीडियो में दिख रही गतिविधि वास्तव में अनुशासनहीनता थी या छात्रों का स्वैच्छिक कार्य।बंजारावाला स्कूल प्रकरण अब सिर्फ एक वीडियो विवाद नहीं रहा, बल्कि शिक्षण तंत्र, सोशल मीडिया ट्रायल और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के बीच खिंची एक लंबी लड़ाई का रूप ले चुका है। सच्चाई क्या है, यह तो जांच के बाद ही सामने आएगी—पर प्रधानाध्यापिका अंजू मनादुली का दर्द इस पूरे घटनाक्रम में साफ झलक रहा है।











