देहरादून : दून अस्पताल में स्टाफ की इतनी कमी है कि इमरजेंसी सिर्फ छह वार्ड बॉय के सहारे चल रही है। छह में एक-एक वार्ड बॉय की ड्यूटी अलग-अलग शिफ्ट में लगाई जाती है। इसकी वजह से मरीज और तीमारदार परेशान होते हैं। कई बार तीमारदार ही मरीजों को स्ट्रेचर या व्हीलचेयर से इमरजेंसी या वार्ड तक ले जाते हैं। एक्स-रे, सीटी स्कैन, ईको और एमआरआई करवाने के लिए भी तीमारदारों को ही मरीजों को ले जाना पड़ता है।
इमरजेंसी ही नहीं दून अस्पताल के अन्य विभागों में भी ऐसी ही स्थिति है। वहां भी स्टाफ की कमी है। एक वार्ड बॉय तीन वार्ड में काम करता है। यही हाल वार्ड आया का भी है। ऐसे में परेशानी मरीजों को होती है। लंबे इंतजार के बाद भी वार्ड बॉय या वार्ड आया मदद के लिए नहीं मिल पाती हैं।
बता दें कि गंभीर स्थिति में मरीज सबसे पहले इमरजेंसी में आता है। इसमें जच्चा बच्चा वाले केस, एक्सीडेंट ट्राॅमा वाले केस, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी इन दिनों बढ़ गए हैं। अस्पताल की इमरजेंसी 24 घंटे चलती है। ऐसे में स्टाफ को भी 24 घंटे अलर्ट पर रहना पड़ता है। एक वार्ड बॉय अगर दूसरे मरीज को ले जा रहा है तो अन्य मरीजों को इंतजार करना पड़ता है।
रात की ड्यूटी करने वाले को दी जाती है छुट्टी
बता दें कि अस्पताल में तीमारदारों को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर पर मरीजों ले जाते देखा जाता है। मरीजों के सैंपल जमा करने भी वार्ड बॉय को जाना होता है लेकिन यह काम भी तीमारदार करते हैं। इसकी वजह यह है कि अस्पताल में स्टाफ की कमी है। एक वार्ड बॉय सुबह, दूसरा दोपहर और तीसरा रात में ड्यूटी करता है। जो वार्ड बॉय रात की ड्यूटी करता है उसको दूसरे दिन छुट्टी दी जाती है। इमरजेंसी में एक दिन में 20 से 25 मरीज भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में इमरजेंसी में एक वार्ड बॉय से काम नहीं चल पाता है।
अस्पताल में मरीज अधिक आते हैं। मरीजों के मुताबिक अस्पताल में स्टाफ नहीं है। हालांकि नए स्टाफ भर्ती करने के लिए बात चल रही है। – डॉ. आशुतोष सयाना, प्राचार्य, दून मेडिकल कॉलेज, अस्पतालI