देहरादून : राम मंदिर आंदोलन के दौरान आंदोलन में कार सेवक के रूप में बाबूगढ़ निवासी शिक्षक नरेंद्र सिंह तोमर ने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी।
बताया जा रहा है की तब वे 26 वर्ष के थे। जब पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर टिहरी जेल ले जाया रहा था तो डोईवाला चौक पर रामभक्तों की भीड़ ने पुलिस के वाहनों को घेरकर कार सेवकों को छुड़ा दिया।
नरेंद्र सिंह तोमर बताते हैं कि आंदोलन के दौरान वे युवक मंगल दल सोरना के अध्यक्ष, क्षेत्रीय युवा समिति के महासचिव और जनता दल के जिला महासचिव भी रहे। राम मंदिर आंदोलन से प्रभावित होकर वे भी आंदोलन का हिस्सा बन गए। तब गांव-गांव में शिला पूजन कार्यक्रम चल रहे थे। गांव-गांव में शिला की स्थापना की जा रही थी।
वह बताते हैं की एक रात सहसपुर थाने से पुलिस की जीप उनके घर पहुंची।उस समय वो घर में सो रहे थे जब उनकी नींद खुली तो चारपाई के चारों तरफ पुलिस कर्मी थे। पुलिस द्वारा उन्हें बताया गया कि मिटिंग के लिए थानेदार ने बुलाया है और वे पुलिस की जीप में बैठ गए। आगे चलकर पुलिस ने बड़वा निवासी रामचंद्र चौहान को भी जीप में बैठा लिया। पूर्व बीडीओ साधु सिंह, दयानंद तिवारी, देवराज शाह आदि वरिष्ठ कार सेवकों को पुलिस गिरफ्तार कर थाने ले आई। थाने पहुंचने पर उन्हें हथकड़ियां पहना दी गईं। जिस पर कार सेवक भड़क गए।
मजबूरन पुलिस को हथकड़ियां खोलनी पड़ी, इसके बाद पुलिस द्वारा दो वाहनों में करीब 40-50 कार सेवकों को टिहरी जेल ले जाने की योजना बनाई गई और कारसेवकों को टिहरी जेल ले जाने लगे लेकिन जब पुलिस के वाहन डोईवाला चौक पहुंचे, तो वहां पहले से मौजूद सैकड़ों रामभक्तों ने वाहनों को घेर लिया उन कार सेवकों द्वारा वाहनों के ताले तोड़ दिए गए। कार सेवकों के आगे पुलिस बेबस नजर आई। सभी कारसेवकों को छुड़ा लिया गया। वे जैसे-जैसे घर पहुंचे। बाद में उन्हें बताया कि कार सेवकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए। हालांकि भाजपा के सत्ता में आते ही सभी मुकदमे वापस ले लिए गए।