जौलीग्रांट से ऋषिकेश तक की सड़क के काम में देरी होने से डीएम सोनिका ने लो नि व के अधिशासी अभियंता धीरेंद्र सिंह के खिलाफ तहरीर दी थी जो की अब बापिस ले लो है सु क्योंकि अब इस सड़क को सुधारने का काम शुरू हो गया है जिससे जिलाधिकारी देहरादून सोनिका सिंह का दिल पसीज गया और उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के खिलाफ दिलाई गई तहरीर वापस लेने के निर्देश दे दिए। साथ ही भविष्य के लिए कड़ी चेतावनी भी दे डाली।
माना यह जाता था की देहरादून में जिलाधिकारी की कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारियों के लिए डीएम का मतलब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट नहीं बल्कि डिस्ट्रिक्ट मैनेजर होता है। उन्हें काफी कुछ मैनेज करने में ही अपनी पूरी ऊर्जा लगानी पड़ती है, लेकिन वर्तमान निर्णय काफी चौंकाने वाला रहा। काफी लंबे समय बाद किसी जिलाधिकारी ने अपनी पावर दिखाई है। लंबे समय से जौलीग्रांट से ऋषिकेश तक के सड़क मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हो रखे थे और सड़क बेहद खराब थी।
कई बार निर्देशों के बावजूद जब लोक निर्माण विभाग ने सड़क की सुध नहीं ली तो देहरादून के जिलाधिकारी सोनिका सिंह के निर्देश पर अधिशासी अभियंता धीरेंद्र कुमार के खिलाफ उप जिलाधिकारी ने रानीपोखरी थाने में तहरीर दे दी थी।इस पर सारी ब्यूरोक्रेसी में पूरे दिन भर हलचल रही। तमाम अधिशासी अभियंताओं ने अपने आकाओं को संपर्क करना शुरू कर दिया।
लोक निर्माण विभाग गढवाल और कुमाऊं के अधिशासी अभियंताओं ने शासन के प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को भी ज्ञापन भेजा। इधर अधिशासी अभियंता धीरेंद्र कुमार ने सड़क को सुधारने का काम शुरू कर दिया। हालांकि देर शाम तक एक पैच की मरम्मत बची हुई थी। लोक निर्माण विभाग का सफाई मे कहना है कि उन्होंने समय से सड़क पूरी कर दी थी, लेकिन यूपीसीएल विभाग ने सड़क को दोबारा से जगह-जगह खोद दिया।
बहरहाल सड़क की सुध लेने के बाद जिलाधिकारी देहरादून ने भी अधिशासी अभियंता को माफ कर दिया। डीएम सोनिका सिंह ने पर्वतजन से कहा कि पीडब्ल्यूडी द्वारा गड्ढा भरान सुधारीकरण का कार्य तत्काल शुरू करा दिया गया था, इसलिए अब अधिकारियों को भविष्य में ऐसी लापरवाही न बरतने की चेतावनी दी गई है। उम्मीद है इससे पीडब्ल्यूडी सहित अन्य विभाग भी सबक लेंगे।