उत्तराखंड : शिक्षा विभाग ने एक नई पहल शुरू की है। आप भी सरकारी स्कूलों को गोद ले सकते हैं बस उसके लिए आपको स्कूलों पर होने वाले खर्च वहन करने होंगे। सामर्थ्यवान सरकारी स्कूलों को गोद लेकर इनमें उचित संसाधन मुहैया कराएंगे। काफी कोशिशों के बाद भी और करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी सरकारी स्कूलों की हालत जस की तस है इसके बाद विभाग के द्वारा यह फैसला लिया गया।
अगर आप इन सरकारी स्कूलों को गोद लेंगे
तो इनका नाम अपने माता-पिता के नाम से या अन्य किसी सज्जन के नाम पर रख सकते हैं। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के अनुसार इन स्कूलों का नामकरण उनको गोद लेने वाले के इच्छा अनुसार किया जाएगा।
विभाग की ओर से इस पर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है जो जल्द ही कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा।
जानकारी अनुसार प्रदेश में स्कूलों की संख्या कुल 16501 है जिनमें से कई स्कूल जर्जर हो चुके हैं कईयों में बिजली पानी जैसी जरूरी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है। जबकि जूनियर और माध्यमिक शिक्षा का बजट 10000 करोड़ है जिसमें से 1100 करोड़ रुपए हर साल केंद्र सरकार की ओर से समग्र शिक्षा अभियान के तहत दिया जा रहा है वहीं 200 करोड़ मिड डे मील के तहत दिए जाते हैं। इन सब के बाद भी प्राथमिक स्तर पर
- 96 स्कूलों के पास भवन नही है,
- 934 स्कूलों में बालक शौचालय नहीं है,
- 895 स्कूलों में बालिका शौचालय नहीं है,
- 542 स्कूलों में पेयजल की सुविधा नहीं है,
- और राज्य में 2864 बेसिक स्कूलों में रैंप नही है।
- 1609 में बिजली नहीं है,
- 3433 में लाइब्रेरी नही है,
- 5633 में खेल मैदान नही है।
माध्यमिक स्कूलों का हाल
- 16 स्कूलों में भवन में भवन नही है,
- 286 में बालक शौचालय नहीं है,
- 114 में बालिका शौचालय नहीं है
- 81 में पेयजल नही है,
- 57 में बिजली नहीं है,
- 384 में लाइब्रेरी नही है,
- 1027 के पास खेल मैदान नही हैं,
- 1041 के पास विज्ञान प्रयोगशाला नही है,
- 886 के पास भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला नही है,
- 902 में रसायन विज्ञान प्रयोगशाला नही है,
- 802 में जीव विज्ञान प्रयोगशाला नही है,