जिस फर्म को एक अक्टूबर 2011 को ब्लैक लिस्ट कर दिया था, लेकिन फिर भी उसी फर्म को काम दिए गए।
रिपोर्ट-विजय रावत
बढ़ती महँगाई से जनता त्रस्त है वही राज्य कर्ज के बोझ के नीचे दबा है।जहाँ सरकार को फिजूलखर्ची पर रोक लगानी थी वही माननीयों के वेतन चार गुना बढ़ोतरी कर चुकी है।खुले बाजार से कर्जा लेकर कर्मचारियों का वेतन दिया जा रहा है।वही सरकारी विभाग घाटे में चल रहे है।आज ऊर्जा निगम को 695 करोड़ रुपये का घाटा है, सरकार बिजली की दरों में बढ़ोतरी करके भरपाई कर रही है।जबकि व्याप्त भ्रष्टाचार जो ऊर्जा निगम के अंतर्गत विगत सालों से चल रहे है उसके लिए अभी तक कि सरकारों ने कोई कार्यवाही दोषियों पर नही किये जबकि करोड़ो रूपये के घोटाले ऊर्जा निगम में हुए है। पानी की दरों में चार गुना बढ़ोतरी जैसा फैसला सरकार ले चुकी है। जीरो टोरलेन्स की त्रिवेंद्र की सरकार सर्व प्रथम विभागीय स्वामी मुख्यमंत्री के विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगानी चाहिए थी तथा फिजूलखर्ची और वित्तीय घाटे का बोझ जनता से दुगने व चार गुने टैक्स बढ़ाकर वसूलने के निर्णयों को तुरंत वाफिस लेना चाहिए था पर इसके बजाय ऊर्जा निगम रुड़की मंडल में एक ब्लैक लिस्ट फर्म को दो करोड़ रुपये का ठेका दे दिया। स्थानीय लोगों के आरोप के बाद उप महाप्रबंधक ने मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं निगम में अब हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
वर्ष 2011 में तत्कालीन उप महाप्रबंधक एमसी गुप्ता ने उपभोक्ताओं की शिकायत एवं विभाग जांच-पड़ताल के दौरान पाया था कि फर्म ने निविदा शर्तों का उल्लंघन किया है। इस केबल को उसे लगाने का जिम्मा दिया था, उस केबल को उपभोक्ताओं को खरीदने के लिए बाध्य किया गया। यही नहीं जिस फर्म को एक अक्टूबर 2011 को ब्लैक लिस्ट कर दिया था, लेकिन फिर भी उसी फर्म को काम दिए गए। साथ ही पति-पत्नी के नाम से अलग-अलग फर्म बनाकर प्रथम एवं द्वितीय निविदा दी गई, जोकि गलत है। इस पर उपमहाप्रबंधक शेखर चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। उन्होंने कुछ दिन पहले ही रुड़की कार्यालय में कार्यभार ग्रहण किया है। पत्रावलियों की जांच-पड़ताल की जाएगी। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। वहीं डीजीएम के जांच के निर्देश देने के बाद से महकमे में भी हड़कंप मचा हुआ है।
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