वैज्ञानिक ने लगाए निदेशक पर प्रताड़ित करने के आरोप।
जड़ी-बूटी शोध एवं विकास कार्यत वैज्ञानिक कर्मचारियों ने निदेशक पर लगाए गंभीर आरोप।
आपको बता दें कि जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान में कार्यरत वैज्ञानिक ने निदेशक पर प्रताड़ित करने के कई आरोप लगाए हैं।
जिसमें उनका कहना है, कि पिछले 2 वर्षों से समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण 2 वर्षों से धरातल नहीं जड़ी बूटी का कार्य शून्य हो चुका है।
वैज्ञानिक का कहना है कि पिछले 2 वर्षों से निदेशालय स्तर से चयनित कृषकों को समय पर जड़ी-बूटी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, जबकि महामारी के दौरान कृषकों ने समय-समय पर पौध की मांग की तो उन्हें पौध उपलब्ध नहीं कराई गई।
साथ ही कहना है कि महामारी के दौरान भी उन्होंने निर्धारित समस्त जनपदों मैं ग्राउंड कार्य का संपादन भी समय से किया है।
तमाम तरह की कठिनाइयों का सामना करने के बाद भी मुख्यालय द्वारा निर्धारित समय पर वैज्ञानिक का वेतन समय पर नहीं दिया जा रहा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रताडन यहीं समाप्त नहीं होता है जनवरी मैं पूरे संस्थान के वैज्ञानिकों कर्मचारियों का वेतन निकाल दिया गया है, परंतु डॉ डी एस बिष्ट वैज्ञानिक प्रभारी उप केंद्र, मनेरा,उत्तरकाशी का वेतन बिना किसी कारण के रोक दिया गया है।
वैज्ञानिक का कहना है कि एक और सरकार के द्वारा नए-नए संस्थान खोले जा रहे हैं तो दूसरी और पुराने संस्थानों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ना ही समय पर जड़ी बूटियों की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए समय पर भत्ता नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण वैज्ञानिक स्वतंत्रता पूर्वक से कार्य नहीं कर पा रहे हैऔर जिस कारण से कार्य में बाधाएं उत्पन्न हो रही है।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर सरकारी संस्थान विकास कार्यों के प्रतीक होते हैं लेकिन इस प्रकार से सरकारी कर्मचारियों के साथ ही प्रताड़न हो रहा है तो धरातल पर किस प्रकार से विकास कार्य होंगे ।