निजी जिम्मेदारी के संग, लड़ रही कोरोना से जंग
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। इस समय समूचा विश्व कोविड-19 के कहर से जूझ रहा है। कोरोना के योद्धा इस जंग में पूरे मनोयोग से लगे हुए हैं, जिसमें महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। जो घर परिवार देखने के साथ ही कोरोना से भी जंग लड़ रही हैं। उनके हौंसले और जज्बे को सलाम। पुरुष कर्मियों के साथ ही महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना से जंग में डटी हुई हैं। इसमें महिला चिकित्सक, स्टाफ नर्स, पुलिस कर्मी और सफाई कर्मी भी शामिल हैं। कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए नारी शक्ति भी पूरा दम लगा रही है।
इसी क्रम में कोटद्वार में पदस्थ महिला सिपाही विमला कोरोना के खतरे के बीच अपनों से दूर रहकर सड़कों पर तेज धूप के बीच ड्यूटी कर अपनी जिम्मेदारी को बेहतर ढंग से निभा रही हैं। विमला का मददगार स्वभाव प्रवासियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ था, जिसका मुख्य कारण था कि ‘कोडिया चेक पोस्ट पर जब कई प्रवासी बिना पास के आ रहे थे तो उन्हें उत्तराखंड की सीमा के अंदर आने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। पास न होने के कारण उन्हें अंदर नहीं आने दिया जा रहा था और उनके साथ कुछ ना कुछ मजबूरियां थी।
तब इस स्थिति में महिला सिपाही विमला प्रवासियों से पास बनवा रही थी व प्रवासियों की स्वयं मदद कर रही थी।विमला प्रवासियों के लिए भोजन व पानी की व्यवस्था भी करवा रही थी। कौडिया चेकपोस्ट पर तेज धूप के बीच अपनी जिम्मेदारी निभा रहीं कांस्टेबल विमला का कहना था कि, परिजनों के रोज फोन आते हैं। उन्हें भरोसा देती हूं कि मैं ठीक हूं। इस महामारी के बीच समाजसेवा करने में किसी प्रकार का भय नहीं दिख रहा। लोगों को घरों में रहने के लिए कहा जा रहा है।