Report – vijay rawat
जीरो टोलेंरेंस सरकार ने अब न्यायिक व्यवस्था से भी जनता का विश्वास कम करने का काम कर दिया है।
जब उनकी ही पुलिस ने जांच करके पूरा मामला स्पष्ट कर दिया है तो फिर क्यो त्रिवेंद्र सरकार ने जज दीपाली शर्मा के पक्ष सम्बंधित अभियोग वापस लेने का निर्णय लिया है।
पूरा मामला 14 साल की लड़की को जबरन घर मे रखकर उत्पीड़न का था जो सीनियर जज सिविल डिवीजन दीपाली शर्मा के घर से पुलिस द्वारा ही छुड़ाया गया।
तत्तकालीन एसएसपी कृष्ण कुमार वीके की अगुवाई में पुलिस ने लडकी को बरामद किया और लडकी का मेडिकल भी कराया गया था, जिसमें करीब बीस घाव सामने आए थे इनमें से कुछ पुरानी जलने के जख्म भी थे।
इसके बाद एएसपी रचिता जुयाल की ओर से सिडकुल थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया। जज के खिलाफ आईपीसी की धारा 370 और 323 व 75 जुविनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
जिसमें हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस द्वारा लडकी की बरामदगी और उसकी मेडिकल रिपोर्ट का जिक्र भी इस रिपोर्ट में किया गया था।
बावजूद इसके सरकार ने अभियोजन आॅफिसर की रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए जज दीपाली शर्मा के खिलाफ कोर्ट में केस वापस लेने का फैसला किया है। एक सप्ताह पहले हरिद्वार की सीजेएम कोर्ट में केस वापस लेने के बाबत सरकार का पत्र भी अभियोजन पक्ष की ओर से दाखिल कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि इसी सप्ताह इस मामले में सुनवाई भी होनी है और इस केस को वापस लेने पर फैसला लिया जा सकता है।
आखिर त्रिवेंद्र सरकार जवाब दे कि क्या सोचके उन्होंने सम्बन्धित अभियोग वापस लेने का निर्णय लिया।
अब यह सवाल सरकार पर भी उठ रहे है कि क्या यह सरकार अब जनता का विश्वास न्यायिक व्यवस्था से भी उठाना चाहती है।
आखिर जब जज के ख़िलाफ़ आपकी ही पुलिस द्वारा सबूत पेश किए गए है तो पीड़िता को क्यो इंसाफ नहीं मिल रहा है।