उत्तराखंड में शिक्षा के हालात लगातार गिरते ही नजर आते हैं उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के लाखों दावों के बाद भी पहाड़ी क्षेत्र में शिक्षा की जो जमीनी हकीकत है वह बिल्कुल ही निचले स्तर पर है।
गढ़वाल मंडल में शून्य छात्र संख्या वाले 16 विद्यालय में तैनात शिक्षकों को 3 साल से दूसरे विद्यालय में समायोजित नहीं किया गया केवल दो ही सहायक अध्यापक व्यवस्था के तहत साथ के दूसरे विद्यालय में सेवाएं दे रहे हैं।
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15 सहायक अध्यापक शून्य छात्र संख्या वाले स्कूलों में जाते हैं और शाम को घर लौट जाते हैं जबकि यह सभी शिक्षा की स्थाई सेवाओं का सभी लाभ ले रहे हैं।
यह शिक्षक खुद निदेशालय से आग्रह कर रहे कि उन्हें किसी अन्य विद्यालय में समायोजित किया जाए।
ताज्जुब तो तब है जब शिक्षा महानिदेशक का आदेश भी अधीनस्थ नहीं मान रहे हैं। महानिदेशक विद्यालय शिक्षा वंशीधर तिवारी ने मंडलीय अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा पौड़ी को 18 मई को शून्य छात्र संख्या वाले विद्यालयों के शिक्षकों को तत्काल अन्य विद्यालय में समायोजित करने के आदेश दिए थे।
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लेकिन इस पर अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई जो अपने आप में बड़ा सवाल है।
शिक्षा विभाग शून्य छात्र संख्या वाले 16 विद्यालय में तैनात 17 सहायक अध्यापकों को बिना पठन पाठन के 3 साल से वेतन दे रहा है।
17 में से केवल 2 सहायक अध्यापक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धार्मिगाड़ देहरादून के पास दूसरे विद्यालय में सेवाएं दे रहे हैं जबकि इन दोनों शिक्षकों को बेहतर उनके मूल विद्यालय के नाम से ही निर्गत किया जा रहा है