उत्तराखंड के दूरदराज पहाड़ी क्षेत्रों में आज तक भी सड़क नही पहुंची है।हैरान कर देने वाली बात है की आज भी पहाड़ की गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए10 किलोमीटर तक पैदल लेके जाना पड़ता है। कई बार तो प्रस्तुता रास्ते में ही दम तोड़ देती है।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों का अभाव आज भी यहां के लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है । नैनीताल शहर से चंद किलोमीटर दूर एक गर्भवती को कुर्सी में बांधकर अस्पताल ले जाते समय महिला ने बच्चे को जंगल में ही जन्म दे दिया । महिला को सड़क तक पहुंचाकर एम्ब्युलेंस की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया । दिल्ली से नैनीताल को जोड़ने वाले एन.एच.87 में ज्यूलिकोट भुजीयघाट से लगभग 5 किलोमीटर दूर पैदल मार्ग में बलूटी गांव बसा है । यहां सड़क नहीं होने के कारण बेशुमार समस्याएं हैं।
बुधवार शाम यहां एक गर्भवती महिला को अचानक दर्द उठने के बाद ग्रामीण उसे कुर्सी में बांधकर रोड तक ला रहे थे की अचानक महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया । महिला को जैसे तैसे सड़क पर खड़ी एम्ब्युलेंस तक लाया गया ।
जंगल के बीच इस घटना ने आजाद हिंदुस्तान में हो रहे विकास पर कई सवाल खड़े कर दिए । जंगल के बीचों बीच हुई इस डिलीवरी से महिला और बच्चे की जान का खतरा हो गया ।
ग्रामीणों की मदद से महिला को एम्ब्युलेंस में तत्काल हॉस्पिटल पहुंचाया गया । इस क्षेत्र की पंचायत सदस्य मुन्नी जीना, कुंदन सिंह जीना और पूर्व जिला पंचायत सदस्य संजय शाह ने बताया की गांव में ऐसा तो आए दिन होता रहता है ।
कई लोगों को समय पर उपचार नहीं मिलने से मौत भी हो जाती है । यहां रोड का सर्वे भी हो चुका है जबकि अभी तक रोड कागजी फाइलों में ही बन सकी है । यहां के दस किलोमीटर के दायरे में कोई भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है ।