समाजसेवियों के त्याग और बलिदान को हमेशा याद रखेगा हिंदुस्तान
रिपोर्ट- सतपाल धानिया….
विकासनगर। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खात्मे और सहयोग के लिऐ हिंदुस्तान हमेशा समाजसेवियों और दानवीरो के सहयोग को कभी नही भुला पायेगा। वैश्विक महामारी में जिस तरह हिंदुस्तान के समाजसेवियों और दानवीरो ने दिल खोलकर सहयोग किया है, ऐसा किसी भी देश में नहीं हुआ है। समाजसेवियों और दानवीरो ने जिस तरह बढ़ चढ़कर योगदान दिया है, उससे काफी हद तक देश और राज्य की सरकारो को भी राहत मिली है। आज हम आपको कुछ ऐसे चेहरो से रूबरू करवा रहे है, जो पर्दे के पीछे से बहुत बड़ा योगदान जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिऐ कर रहे है। जिनके योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।
आचार्य अरुण कुमार बिहार के गोपालगंज जिले के बघेई गांव के रहने वाले है। उत्तराखंड राज्य के देहरादून में इनके द्बारा ऋषि कल्प आश्रम संचालित किया जा रहा है। वैश्विक महामारी के दौरान इनके द्वारा चालीस परिवारो को गोद लिया गया है। आचार्य अरुण कुमार द्वारा इन चालीस परिवारो को एक महीने की खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध करवायी गयी है। साथ ही इनके द्वारा अपने आश्रम में गरीब परिवारो के अट्ठाईस बच्चों को रखा गया है, और इन गरीब बच्चों के खाने और शिक्षा का खर्च भी इनके द्वारा वहन किया जा रहा है। साथ ही पुलिस चौकी और थाने में भी इनके द्वारा जरूरतमंदों के लिऐ खाद्यान्न सामग्री दी गयी। जिससे भूखे लोगो को खाना उपलब्ध हो सके। आचार्य अरुण कुमार आयुर्वेदाचार्य भी है। इनके द्वारा जड़ी बूटियों से निर्मित आयुर्वेदिक दवाईंया कोरोना से बचाव के लिऐ लोगो को दी जा रही है। साथ ही जो आयुर्वेदिक दवाइयां लोगो को दी जा रही है। इनसे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। आचार्य अरुण कुमार द्वारा यह तमाम व्यवस्थाएं निःशुल्क प्रदान की जा रही है। वैश्विक महामारी में उनके सहयोग को युगों तक याद किया जाऐगा।
सुधीर रावत सेलाकुई के पूर्व व्यापार मण्डल अध्यक्ष है। सेलाकुई ओध्यौगिक नगरी में लॉकडाउन की वजह से कई मजदूर परिवार बेरोजगार हो गए। जिनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में सुधीर रावत द्वारा क्षेत्र के दस मजदूर परिवारो के खाने की जिम्मेदारी ली है। उन्होंने इन दस परिवारो के खाने के लिऐ संपूर्ण खाद्यान सामग्री की व्यवस्था की है। जब तक लॉकडाउन रहेगा और यह परिवार काम करना शुरू न कर दें, तब तक सुधीर रावत के द्वारा इन मजदूरो के खाने की व्यवस्था का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि, इन परिवारो को किसी भी तरह की खाने की कोई परेशानी नही आने दी जायेगी। साथ ही कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिऐ इन परिवारो में मास्क सेनेटाइजर भी दिया गया है। पूरे सेलाकुई शहर को भी रावत द्वारा सेनेटाइजर करवाया गया। जिससे क्षेत्र में कोरोना के संक्रमण को न फैलने दिया जाये। इनके इस प्रयास से सरकार को भी राहत पहुंचेगी। क्योंकि हर-घर तक राहत और राशन पहुंचाने में सरकार को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में रावत ने दस परिवारो को गोद लेकर एक मिशाल पेश की गयी है।
इस वैश्विक महामारी में महिलाएं भी बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी निभा रही है। ऐसा ही एक नाम है आशा रावत। आशा रावत ने छः परिवारो को गोद लिया है। आशा रावत के पति आनंद सिंह रावत भारतीय सेना में है, और देश सेवा में जुटे है। कोरोना वायरस के प्रकोप में भी वह देश को सुरक्षित रखने के लिऐ अपनी भूमिका निभा रहे है। इस दंपत्ति द्वारा ऐसे माहौल में गरीबो के लिऐ जो सहयोग किया जा रहा है इसे कभी भुलाया नही जाऐगा। इनका कहना है कि, जिन परिवारो को इनके द्वारा खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध करवायी जा रही है। यह परिवार लॉकडाउन की वजह से दिहाड़ी मजदूरी नहीं कर पा रहे थे, ऐसे में इनके सामने रोजी रोटी क़ा संकट खड़ा हो गया था तो आशा अपने माध्यम से खाने की समस्त सामग्री उपलब्ध करवा रही है। जिससे यह परिवार भूखे को सोने पर विवश न होना पड़े। इसके अलावा इनके द्वारा गली चौराहों और सड़कों पर जो पुलिसकर्मी डटे है उनके लिऐ भी खाद्य वस्तुएं पहुचायी जा रही है।
ऐसा ही एक नाम है, नीलम नेगी। इनके द्वारा अपनी संस्था से संपन्न व्यक्तियों से खाद्य सामग्री एकत्र कर जरूरतमंदों तक पहुचायी जा रही है। इनकी संस्था “संयुक्ति फाउंडेशन” कोरोना वायरस की इस लड़ाई में रात-दिन काम कर रही है।फाउंडेशन की महिला सदस्य गांव-गांव घूमकर जरूरतमंदों को चिन्हित कर खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध करवा रही है। इनके द्वारा अब तक एक सौ-पचास परिवारो को खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध करवायी गयी है। साथ ही फाउंडेशन की सभी महिला सदस्य झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले निरक्षर बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा भी उठाये हुए है। फाउंडेशन की अध्यक्षा नीलम नेगी का कहना है कि, जब तक लॉकडाउन की अवधि है, और कोरोना संक्रमण को खत्म नही किया जाता। तब तक उनकी फाउंडेशन जरूरतमंदों की मदद करती रहेगी। इस महान कार्य में नीलम नेगी और इनकी टीम की जितनी भी सराहना की जाये कम है।
उषा चौहान सहसपुर विधानसभा के तेलपुरा गांव की रहने वाली है। इनके पति आईएस चौहान भारतीय सेना से सेवानिवृत है। इस दंपत्ति द्वारा भी क्षेत्र के पांच परिवारो क़ो गोद लिया गया है। और इन परिवारो के खाने की संपूर्ण जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लिया है। इस विकट परिस्तिथि में इन परिवारो का सहयोग कर इन्होंने राहत पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया है। इनका कहना है कि, इन मजदूर परिवारो को खाने और अन्य जरूरी सामानों की कोई दिक्कत नही आने दी जायेगी। लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने तक इन परिवारो के खाने का पूरा खर्च यह दंपत्ति अपने माध्यम से वहन करेंगे। साथ ही इनका यह भी कहना है कि, क्षेत्र में अगर किसी जरूरतमंद को कोई आवश्यकता हुयी तो उसका भी ध्यान रखा जाऐगा। साथ ही इनके द्वारा समय-समय पर क्षेत्र में और भी कई तरह के सामाजिक कार्य किये जाते रहे है।