लाॅकडाउन का पालन करवाने में असमर्थ पुलिस
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। लगता है कि, पुलिस विभाग का मनोबल गिर रहा है। पुलिस अपना काम खुले दिल से नहीं कर पा रही है। यहीं कारण है कि, अब पुलिस गश्त मारती हुई भी नहीं दिख रही है। लोग लाॅकडाउन व सोशल डिस्टेंस की खूब धज्जियाँ उडा रहे है। इसके पीछे छोटी-मोटी घटनायें होती है। जिसमें पुलिस अधिकारियों के हाथ पांव फूल जाते है व उक्त कर्मी को ड्युटी से हटा दिया जाता है। कुछ दिन पूर्व हुई आमपडाव की घटना जिसमें एक महिला पुलिसकर्मी पर दण्डे मारने का झूठा आरोप लगाया गया था, जिससे पुलिस विभाग में हडकंप मच गया था। अगले ही दिन से महिला पुलिसकर्मी को ड्युटी स3 हटा दिया गया। जिससे उस महिला सिपाही का मनोबल तो गिरा ही साथ में अन्य पुलिसकर्मियों का मनोबल भी गिरते हुए दिख रहा है।
यहीं कारण है कि, लोग लाॅकडाउन व सोशल डिस्टेंस की अब खूब धज्जियां उडा रहे है। लोग सुबह पाँच बजे सिद्धबली मार्ग पर मार्निंग वाक पर ही लाॅकडाउन की धज्जियाँ उडा रहे है। वहीं शायं चार बजे बाद भी लोग सडको पर झुंड के साथ घूमते हुए नजर आ रहे है। जिससे सोशल डिस्टेंस की धज्जियाँ भी उड रही है। भारतीय पुलिस प्रशासन की कार्यकुशलता पर अक्सर प्रश्न-चिह्न लगाया जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि, पुलिस अधिकारियों को जब किसी चर्चित मामले की जांच सौंपी जाती है, तो उन पर राजनीतिकों द्वारा दबाव डाला जाता है। जिसे पूरा करने के लिए अधिकतर पुलिस अधिकारी न चाहते हुए भी तैयार हो जाते हैं। इनकार करने वाले अधिकारियों का स्थानांतरण होना तय माना जाता है। स्थानांतरण नेताओं के हाथ में एक हथियार की तरह है, जिसका दुष्परिणाम भारतीय समाज को भुगतना पड़ता है, अपराधियों के भीतर कोई स्थायी खौफ नहीं पैदा हो पाता।