रुद्रप्रयाग : पिछले महीने रुद्रप्रयाग में वन विभाग के कैंपस से ही चोरों ने चंदन के आठ पेड़ काट लिए थे उसके बाद वन विभाग की तत्परता पर और कार्य प्रणाली पर काफी सवाल उठने लगे थे।
और यह भी सवाल सता रहा कि जब चोर वन विभाग के कैंपस में ही पेड़ों को काटकर चोरी करके ले जा रहे हैं तो दूरस्थ इलाकों में न जाने कितने बड़े पैमाने में तस्करी हो रही होगी, इस आशंका को सार्थकता तब मिली जब चार मूल के नेपाली काजल की गांठ की तस्करी करते हुए पकड़े गए।
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वन क्षेत्राधिकारी के नेतृत्व में गठित वन क्षेत्राधिकारी, दक्षिणी जखोली की टीम द्वारा गुरुवार देर रात सघन चैकिंग के दौरान संदेह के आधार पर इनोवा वाहन यूके 07 एई 8600 को रोका जिसमें 202 नग काजल की गांठें बरामद हुई। उप प्रभागीय वनाधिकारी देवेंद्र सिंह पुंडीर ने बताया कि वाहन एवं वन उपज को कब्जे में लेकर सीज कर न्यायालय में भेजा गया। अवैध पातन एवं तस्करी में संलिप्त नेपाली मूल के अनिल पुत्र लोक बहादुर, गणेश सिंह पुत्र अनू बहादुर, भरत साईं पुत्र हरक साईं व गंगी पुत्र बीर बहादुर को हिरासत में लेकर जेल भेजा गया। उप प्रभागीय वनाधिकारी देवेंद्र सिंह पुंडीर ने बताया कि संलिप्त तस्करों द्वारा स्वीकार किया गया कि उनके द्वारा वन उपज तस्करी का कार्य उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में भी किया जा रहा था। जिसकी सूचना तुरंत अन्य क्षेत्रों को देकर इनके गिरोहों को पकड़वाने का कार्य किया गया। वन उपज तस्करी में यह गिरोह पिछले कई वर्षों से अत्यधिक सक्रिय रहा है इनके द्वारा वन तस्करी कर प्राप्त सामान को सहारनपुर में बेचा जा रहा है।
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यह बात भी सत्य है कि अगर वन विभाग इतना मुस्तैद पहले रहता तो शायद वन विभाग के घर से बेशकीमती चंदन के आठ पेड़ों की चोरी भी नहीं होती, लेकिन चंदन की घटना ़के बाद हरकत में आए वन विभाग के हाथ काजल के चोर लगे हैं तो कहीं ना कहीं वन तस्करों के इस पूरे नेटवर्क को लेकर भी काफी कुछ इन चोरों से मिल सकता है। बहरहाल अभी यह सवाल भी अहम है कि आखिर चंदन के तस्कर कब वन विभाग के हाथ लगेंगे?
काजल के तस्करों को पकड़ने के अभियान दल में वन क्षेत्राधिकारी, रूद्रप्रयाग संजय कुमार, वन क्षेत्राधिकारी, दक्षिणी जखोली रजनीश लोहानी, वन क्षेत्राधिकारी, गुप्तकाशी उदय सिंह रावत, वन दरोगा बृजमोहन सिंह नेगी, वन आरक्षी गोविन्द सिंह चौहान समेत अन्य लोग शामिल रहे
हैं।