बड़ी कार्यवाही: नगर निगम अधिकारी के घर स्टेट GST का छापा, इतने करोड़ की पकड़ी चोरी..
देहरादून: नगर निगम के एक अधिकारी के घर पर की गई छापेमारी में चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। स्टेट जीएसटी के अधिकारियों ने दून के जिन आयरन स्क्रैप कारोबारियों के फर्जी ढंग से आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ प्राप्त करने का भांडा फोड़ा था, वह कारोबार नगर निगम अफसर की पत्नी का निकला। बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती, क्योंकि इस फर्जीवाड़े में सरकार को करीब 15 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया है। स्टेट जीएसटी (राज्य कर) विभाग ने अफसर की पत्नी को रिकवरी नोटिस भी जारी किया है। हालांकि, रिकवरी पर अफसर की पत्नी ने हाई कोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया है। इसके बावजूद इस मामले में अधिकारी की पत्नी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है, क्योंकि 05 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी पर गिरफ्तारी का प्रावधान है। प्रकरण में गिरफ्तारी पर स्टे नहीं है।
स्टेट जीएसटी की एसआईबी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच) ने हाल में संयुक्त आयुक्त एसएस तिरुवा के नेतृत्व में हरिद्वार बाईपास रोड स्थित फर्म और गोदामों समेत आयरन स्क्रैप कारोबारियों के घर पर छापेमारी की थी। जिसमें पता चला था कि स्क्रैप कारोबारी देहरादून और हरिद्वार की अपंजीकृत फर्मों से माल खरीद रहे हैं और इस पर फर्जी ढंग से आईटीसी का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। क्योंकि, अपंजीकृत फर्मों से की गई खरीद पर आईटीसी का लाभ नहीं दिया जाता है। लिहाजा, फर्म कारोबारियों ने आईटीसी क्लेम के लिए पंजाब, दिल्ली व उत्तर प्रदेश की फर्मों से खरीद के फर्जी बिल प्राप्त किए। जिसका मतलब यह हुआ कि बाहरी राज्यों की संबंधित फर्मों से वास्तविक खरीद की जगह सिर्फ बिल प्राप्त किए गए।
फर्जी खरीद का पता स्टेट जीएसटी के अधिकारियों को स्मार्ट सिटी व विभाग की ओर से लगाए गए एएनपीआर (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन) कैमरों के रिकॉर्ड से चल गया। बिल के साथ माल लाने वाले जिन ट्रकों के फोटो दर्ज किए गए थे, उन्होंने शहर में प्रवेश ही नहीं किया था। छापेमारी के दौरान ही 06 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी सामने आई थी, जिस पर 1.10 करोड़ रुपये मौके पर ही जमा करा दिए गए थे। वहीं, अब जांच में यह बात भी सामने आ रही है कि कर चोरी का आंकड़ा 15 करोड़ रुपये के आसपास या अधिक हो सकता है।
निगम अफसर की पत्नी ने कहा, फर्म किराए पर दी थी
स्टेट जीएसटी के अधिकारियों को जब यह पता चला कि फर्म नगर निगम अफसर की पत्नी की है तो वह दंग रह गए। पूछताछ में अफसर की पत्नी ने कहा कि फर्म किराए पर दी गई थी। यदि कर चोरी की गई है तो इसमें उनका कोई हाथ नहीं है। हालांकि, यह बात अधिकारियों के गले नहीं उत्तरी और अफसर की पत्नी को रिकवरी नोटिस जारी कर दिया। जिस पर उन्होंने फिलहाल हाई कोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया है। चूंकि, कर चोरी की राशि 05 करोड़ रुपये से अधिक है तो मामले में गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही है।
कौन बचा रहा अफसर और उनकी पत्नी को
सूत्रों की मानें तो इस मामले में अधिकारियों पर हल्का हाथ रखने को कहा जा रहा है। क्योंकि, पत्नी के नाम पर फर्म और इस तरह के कृत्य के बाद अधिकारी तक भी जांच की आंच पहुंच सकती है। यही कारण है कि मामले में विभिन्न स्तर से दबाव बनाए जाने की बात भी सामने आ रही है। फिर भी राज्य कर के अधिकारी प्रकरण में ढील देने को तैयार नहीं हैं। क्योंकि, स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, शासन और आयुक्त राज्य कर डॉ अहमद इकबाल प्रदेश के राजस्व हितों के प्रति गंभीरता से कार्रवाई करने की बात कहते आए