आज आंदोलनकारियों ने गैरसैंण तहसीलदार के माध्यम से राष्ट्रपति को खून से लिखे पत्र के जरिए अपनी मांग दोहराई, जिसमें प्रेमचंद अग्रवाल को तत्काल बर्खास्त करने की अपील की गई।
पूर्व सैनिक भुवन सिंह कठायत ने सरकार की अनदेखी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा,
“अब सरकार हमारी मांगों को अनसुना कर रही है। इसलिए मैं आज शाम 5 बजे से मौन धारण करूंगा, और यदि इसके बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो प्राण त्याग दूंगा।”
आंदोलनकारी किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने सरकार के रवैये की आलोचना करते हुए कहा,
“उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पूरे पर्वतीय समाज की उपेक्षा कर रहे हैं। यह उनकी तानाशाही है, लेकिन अब या तो हमारी जान जाएगी या फिर प्रेमचंद अग्रवाल की कुर्सी जाएगी।”
सैनिक पुत्री कुसुम लता बौड़ाई ने अपने दृढ़ संकल्प को दोहराते हुए कहा,
“हम अपने पहाड़ और स्वाभिमान के लिए लड़ रहे हैं। जो व्यक्ति हमारे समाज का अपमान करता है, उसे हम मंत्री पद पर नहीं देख सकते। बिना स्वाभिमान के जीवित व्यक्ति, मृत समान होता है।”
आंदोलनकारियों के इस कठोर रुख से गैरसैंण में माहौल गरमा गया है। सरकार की चुप्पी से जनता में आक्रोश बढ़ रहा है, और अब सबकी नजर इस आंदोलन के अगले कदम पर टिकी है।