जनता इंटर कॉलेज देवनगर में फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर नौकरी करने वाले शिक्षक लक्ष्मण सिंह रौथाण को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने उन्हें पांच साल के कठोर कारावास और 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर उन्हें चार माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
फर्जी डिग्री से 2003 में की थी नियुक्ति
प्रभारी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चंद्र आर्य के अनुसार, लक्ष्मण सिंह ने वर्ष 2003 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर शिक्षक की नौकरी हासिल की थी। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि विश्वविद्यालय ने उनके नाम से कोई डिग्री जारी ही नहीं की थी। मामले के प्रकाश में आने के बाद उन्हें निलंबित किया गया, बर्खास्तगी के बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
इन धाराओं में सुनाई गई सजा
अदालत ने लक्ष्मण सिंह को भारतीय दंड संहिता की
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धारा 420 (धोखाधड़ी) में 5 साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माना,
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धारा 471 (जाली दस्तावेज का प्रयोग) में 2 साल की सजा और 5 हजार रुपये जुर्माना सुनाया।
फिलहाल दोषी को जिला कारागार पुरसाड़ी भेज दिया गया है।
शिक्षा विभाग की लापरवाही पर भी टिप्पणी
अभियोजन पक्ष ने बताया कि रुद्रप्रयाग जिले में अब तक कुल 28 फर्जी शिक्षक चिन्हित हो चुके हैं जिन्हें अदालत दोषी ठहरा चुकी है। अदालत ने इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की।
बिना दस्तावेज सत्यापन के नियुक्ति, स्थायीकरण और प्रोन्नति देने पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने इस मामले की प्रति शिक्षा सचिव और गृह सचिव को भेजकर विभागीय कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं।