रिपोर्ट – रवि गुप्ता
पीलीभीत।परिषदीय विद्यालयों में सेवारत बेसिक शिक्षकों द्वारा प्रधानमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को संबोधित सात सूत्रीय मांग पत्र / ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा।
परिषदीय शिक्षकों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 01 सितंबर 2025 को शिक्षक पात्रता परीक्षा के विषय मे देश के बेसिक शिक्षकों के सम्बंध में निर्णय पर अध्यादेश लाकर संशोधित किये जाने के सम्बंध में सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा।
उत्तर प्रदेश जूनियर हाई स्कूल(पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश पीलीभीत द्वारा दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सेवारत शिक्षकों को जिनकी सेवा अवधि 05 वर्ष से अधिक है। उनको शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के आदेश दिए गए हैं। जबकि उसी आदेश में 03 सितंबर 2001 तक के नियुक्त शिक्षकों को मुक्त किये जाने की बात कही गयी है। साथ ही आदेश के अन्य भाग में 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों को भी शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त की बात की गई है। साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम तथा संशोधित अधिनियम 10 अगस्त 2017 के अनुसार देश के सभी बेसिक शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण किया जाना है। इन स्थितियों से देश तथा उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षक नौकरी जाने के भय से परेशान एवं अवसाद ग्रस्त हो रहा है। जबकि देश तथा प्रदेश में सेवारत सभी बेसिक शिक्षकों को तत्समय विभाग द्वारा निर्धारित सेवा शर्तों एवं योग्यता को पूर्ण करते हुए नियुक्त किया गया था।
शिक्षक पात्रता परीक्षा NCTE द्वारा 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी की गई एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम 2011 में लागू किया गया। ऐसी स्थिति में उपरोक्त अधिसूचनाओं के पूर्व नियुक्त शिक्षको को शिक्षक पात्रता परीक्षा में लाना उचित नहीं है।
उत्तर प्रदेश जूनियर हाई स्कूल(पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश पीलीभीत तेज जिलाध्यक्ष लाल करन ने आगे बताया कि देश के लगभग 40 लाख शिक्षक और उनके परिवार प्रभावित होंगे। केवल उत्तर प्रदेश में ही लगभग 04 लाख शिक्षक और उनके परिवार प्रभावित होंगे। साथ ही सेवा के अंतिम पड़ाव पर आयु अधिक होने के कारण किसी परीक्षा से गुजरना देश के बेसिक शिक्षकों के लिए कठिन भी है। तथा NCTE की गाइड लाइन एवं अधिसूचना के अनुसार कोई भी सेवारत शिक्षक शिक्षक पात्रता परीक्षा देने हेतु शर्तों को पूर्ण न करने के कारण योग्य भी नहीं है।
परिषदीय शिक्षकों ने मांग कि देश के लगभग 40 लाख तथा उत्तर प्रदेश के करीब 04 लाख बेसिक शिक्षकों तथा उनके परिवारों को बचाने हेतु NCTE अधिसूचना एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम के प्रभावी होने की तिथि से पूर्व तत्समय निर्धारित योग्यता तथा सेवा शर्तों पर नियुक्त बेसिक शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा न दिए जाने हेतु अध्यादेश लाकर संशोधित करने की मांग की है क्योंकि लगभग डेढ़ दशक बीत जाने तक भारत सरकार, NCTE ने जानबूझ कर उक्त योग्यता पूर्ण नहीं कराई और न ही कोई निर्देश दिया। इस स्थिति के उत्पन्न होने का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व NCTE एवं भारत सरकार का है। इस कारण संशोधन किया जाना अतिआवश्यक है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा देने हेतु NCTE के नियमों तथा शर्तों के अनुसार निम्न योग्यताओं में नियुक्त बेसिक शिक्षक शर्तों को पूरा न करने के कारण आवेदन ही नही कर पाएंगे जिससे मुख्य तौर पर शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्रतिभाग करने हेतु योग्यता स्नातक एवं बी0एड0/बी०टी०सी० प्रशिक्षण आवश्यक है। जबकि वर्ष 2001 से पूर्व नियुक्त बेसिक शिक्षक इंटर मीडिएट एवं बी०टी०सी० प्रशिक्षण योग्यता धारी हैं। इस कारण योग्यता के अभाव में शिक्षक पात्रता परीक्षा का आवेदन ही नहीं कर पाएंगे।
शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्रतिभाग करने वाले अभ्यर्थियों की के आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित है। जबकि NCTE अधिसूचना एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू होने से पूर्व नियुक्त समस्त बेसिक शिक्षक निर्धारित आयुसीमा से अधिक आयु के हैं। इस कारण आवेदन ही नहीं कर पाएंगे।
बी०पी०एड योग्यता धारी शिक्षक भी शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्रतिभाग नहीं कर सकते क्योंकि वह भी उक्त योग्यता को पूरा नहीं करते।मृतक क्यों कि आश्रित के रूप में नियुक्त शिक्षक 31 दिसम्बर 1999 तक प्रशिक्षण योग्यता से शासन द्वारा प्रशिक्षण मुक्त हैं। इस कारण शिक्षक पात्रता परीक्षा हेतु वह भी आवेदन नहीं कर पाएंगे।
विभाग तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2018 से बेसिक शिक्षक की योग्यता बी०टी०सी० / डी0एल0एड0 निर्धारित की गई है। जबकि उक्त तिथि से पूर्व नियुक्त बी०एड० बेसिक शिक्षक भी शिक्षक पात्रता परीक्षा में आवेदन नहीं कर पाएंगे।अब ऐसी स्थिति में जब 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त बेसिक शिक्षक शिक्षक पात्रता परीक्षा में निर्धारित शर्तों के अनुसार आवेदन ही नहीं कर सकेगें तो फिर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन किस प्रकार सम्भव हो सकेगा। ऐसी स्थिति में देश के लगभग 40 लाख तथा उत्तर प्रदेश के करीब 04 लाख बेसिक शिक्षको को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। इस स्थिति में देश के 40 लाख बेसिक शिक्षकों के परिवार बेघर तथा भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे।
संघ तथा उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ उ०प्र०क्ष द्वारा अपनी मांग पत्र में मांग की है, कि 23 अगस्त 2010 तथा शिक्षा अधिकार अधिनियम 2011 के लागू होने पूर्व तत्समय निर्धारित आहर्ता को पूर्ण करते हुए नियुक्त शिक्षकों को अध्यादेश लाकर कानून में संशोधन कर शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त कर देश के लगभग 40 लाख परिवारों की रक्षा करने की मांग की है।