सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना आधार
13 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिए थे कि अतिक्रमण हटाने या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई केवल निर्धारित प्रक्रिया के बाद ही की जाएगी। हालांकि यह व्यवस्था सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़क, स्ट्रीट, फुटपाथ, रेलवे लाइन और नदी किनारे के अतिक्रमण पर लागू नहीं होगी।
15 दिन का नोटिस और सुनवाई अनिवार्य
नई एसओपी के अनुसार:
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ध्वस्तीकरण से पहले संबंधित व्यक्ति को 15 दिन का नोटिस देना होगा।
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यह नोटिस कोरियर/रजिस्ट्री से भेजने के साथ ही संपत्ति पर चस्पा करना अनिवार्य होगा।
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पूरी जानकारी जिलाधिकारी कार्यालय और नोडल अधिकारी को दी जाएगी।
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संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का मौका भी मिलेगा और सक्षम अधिकारी को अपने निर्णय का कारण लिखित में बताना होगा।
पोर्टल पर दर्ज होंगी सभी कार्रवाई
तीन माह के भीतर एक पोर्टल बनाया जाएगा जिसमें ध्वस्तीकरण से जुड़ी सभी सूचनाएं दर्ज होंगी। साथ ही कब्जाधारक को आदेश मिलने के बाद 15 दिन का समय खुद अतिक्रमण हटाने के लिए दिया जाएगा। जिन मामलों पर कोर्ट में स्टे है, वहां यह प्रावधान लागू नहीं होगा।
गलत ध्वस्तीकरण पर अधिकारी होंगे जिम्मेदार
एसओपी के अहम प्रावधानों में यह भी शामिल है:
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ध्वस्तीकरण से पहले विस्तृत रिपोर्ट तैयार होगी, जिस पर दो पंचों के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे।
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पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना जरूरी होगा।
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मौके पर मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों का विवरण दर्ज किया जाएगा।
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अगर ध्वस्तीकरण गलत पाया गया या उस पर पहले से कोर्ट का स्टे ऑर्डर मौजूद था, तो जिम्मेदारी पूरी तरह संबंधित अधिकारी की होगी।
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ऐसे मामलों में अधिकारी को मुआवजा और पुनर्निर्माण का खर्च निजी तौर पर उठाना पड़ेगा।
👉 ये नई SOP सुनिश्चित करती है कि अब बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी का घर या निर्माण रातों-रात नहीं टूटेगा।