किडनी ट्रांसप्लांट की कोरोना पाॅजीटिव मरीज श्री महंत इंद्रेश अस्पताल से स्वस्थ होकर लौंटी घर
– 14 दिनों तक विशेषज्ञ डाॅक्टरों की देखरेख में चला उपचार
– गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद चिकित्सकीय प्रबन्धन व दवाईयों पर थीं मरीज
– गुर्दे की कार्य क्षमता कमज़ोर होने व मरीज़ के इम्यूनो सेप्रेशन पर होने के कारण उपचार रहा चुनौतीपूर्णं
देहरादून। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद कोरोना पाॅजीटिव हुई महिला मरीज़ उपचार के बाद स्वस्थ होकर घर लौट गईं हैं। यह खबर इसलिए भी सुखद है कि, अति गम्भीर रोगों से लड़ रहे मरीजों के मामले में कोरोना बेहद घातक व जानलेवा साबित हुआ है। इस मामले में गुर्दे की कार्यक्षमता कमज़ोर होने व मरीज़ के इम्युनो सेप्रेशन पर होने के कारण उनका उपचार चुनौतीपूर्णं था। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में 14 दिनों तक विशेषज्ञ डाॅक्टरों की सघन निगरानी व उपचार के बाद मरीज़ पूरी तरह स्वस्थ हैं व डिस्चार्ज हो गई हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि, कुछ साल पहले ही महिला का गुर्दा प्रत्यारोपण हुआ था। यह मरीज़ गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद चिकित्सकीय प्रबन्धन व दवाओं के उपचार पर हैं। कोरोना पाॅजीटिव होने के बाद मरीज़ बहुत ज्यादा घबरा गई थी, कोरोना मृत्यु के डरावने आंकड़ों से भी वह सख्ते में थीं। पूर्णं स्वास्थ्य लाभ लेने के बाद वह स्वस्थ मुस्कान के साथ अपने घर लौट गई हैं।
मोथरोवाला, देहरादून निवासी 49 वर्षीय महिला को उपचार के लिए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में दिनांक 13 अक्टूबर 2020 को लाया गया, उन्हें सांस लेने में परेशानी व बुखार की शिकायत थी। कोविड-19 की जांच में रिपोर्ट पाॅजिटिव आई। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ डाॅ आलोक कुमार की देख-रेख में महिला मरीज़ का उपचार किया गया। डाॅ आलोक ने जानकारी दी कि, ऐसे मरीज़ जिनके किसी भी अंग का प्रत्यारोपण हुआ हो, ऐसे मरीजों के लिए कोरोना सहित किसी भी प्रकार का संक्रमण खतरनाक होता है। ऐसे मरीजों को नियमित दवाओं पर रखा जाता है।
यह दवाएं प्रत्यारोपण के बाद के चिकित्सकीय प्रबन्धन में तो अहम भूमिका निभाती हैं, परन्तु उन दवाओं के प्रभाव से मरीज़ की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण कोरोना ऐसे मरीजों के लिए जानलेवा भी हो सकता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने महिला का उपचार किया। डाॅक्टर आलोक ने कहा कि, कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूकता भी बेहद जरूरी है। ऐसे मरीज़ जिनका कोई भी अंग प्रत्यारोपित हुआ हो, यदि वह कोरोना संक्रमित हो जाते हैं तो समय रहते उनका उपचार शुरू हो जाना चाहिए। ऐसे मरीजों में भी कोरोना के गम्भीर संक्रमण के प्रभाव नियंत्रित किया जा सकता है।