चम्पावत में बैठकी होली की खूब मची हुई है धूम
● क्षेत्र की बैठकी और खड़ी होलियों का अलग है अंदाज़
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सूरज लडवाल
चम्पावत – के पाटी विकासखण्ड मुख्यालय सहित क्षेत्र के तमाम स्थानों में इन दिनों बैठकी होली की धूम मची हुई है । इसी सिलसिले में विकासखण्ड स्थित मष्टा संगीत कला समिति की साप्ताहिक होली का आयोजन समिति के सचिव महेश चन्द्र भट्ट के आवास पर किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र पुनेठा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया । सामूहिक गणेश वन्दना ” प्रथम सुमिर श्री गणेश , गौरी सुत प्रिय महेश ” के पश्चात बैठकी होली फ़नकार सीएस मौनी ने राग धमार में ” डमर ढप बाजन लागो री , ब्रज मोहन के द्वार ” होली का गायन किया । इसी सिलसिले में संगीताचार्य केसी भट्ट ने राग यमन में ” संय्या नहीं घर , अबके न खेलूंगी होली ” से नायिका के विरह का वर्णन किया । इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रदीप पचौली ने राग काफ़ी में ” रेशमी अंगिया मेरी , श्याम हाथ न लगाओ ” की प्रस्तुति देकर महफ़िल में रौनक भर दी । कार्यक्रम में इसके बाद पंकज पचौली ने राग काफी में ” गाओ सुहागिन होली , फागुन ऋतु शुभ अलबेली ” से महफ़िल में चार चाँद लगाए । सौरभ अवस्थी ने राग साहाना में ” आज पिया के गरवा लगूंगी , कलंक लगे सो लगे री ” होली गायन कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया । विशाल पचौली ने ” अब साँझ भई घर आओ लला , मुरली ना बजाओ विहारी ” की प्रस्तुति देकर श्रोताओं में भक्ति भाव की चेतना का संचार किया । देर रात तक चली इस महफ़िल में शिक्षक रवीश पचौली , नरेन्द्र गहतोड़ी , एमएन पचौली ने संगीत स्वर लहरियों का आनन्द लिया । तबले में योगेश पचौली , प्रियांशु भट्ट , सौरभ और विशाल ने अपनी उंगलियों का जादू बिखेरा।
● महाशिवरात्री को शिव मन्दिर रौलमेल में होगा खड़ी होली का आयोजन –
पाटी – दशकों से विकासखण्ड के नजदीकी शिवमन्दिर रौलमेल में महाशिवरात्री के दिन सायं करीब चार बजे से खड़ी होली का आयोजन किया जाता आ रहा है । इसी सिलसिले में इस वर्ष भी परम्परा और रीति रिवाजों को जीवंत रखने के लिए क्षेत्रीय लोग खड़ी होली गायन का आयोजन करेंगे । बताते चलें कि महाशिवरात्री के अवसर पर शिव मन्दिर में प्रातः करीब 6 बजे विधिवत पूजा अर्चना कर मन्दिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है । जिसके बाद मंदिर के नजदीकी कणकेश्वर त्रिवेणी में श्रद्धालु स्नान कर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं । और उसके बाद ही शाम को खड़ी होली का गायन किया जाता है ।