नैनीताल : उच्च न्यायालय ने रुद्रप्रयाग के जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुज कुमार संगल को तत्काल प्रभाव से जांच होने तक निलंबित कर दिया है। उन पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय का रजिस्ट्रार (सतर्कता) रहते हुये अपने अधीन कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का उत्पीड़न करने का आरोप है। आरोप है कि इस उत्पीड़न से त्रस्त होकर कर्मचारी ने ठीक एक वर्ष पहले 3 जनवरी 2023 को विषपान कर लिया था। निलंबन की अवधि में वह जिला एवं सत्र न्यायालय चमोली में संबंद्ध रहेंगे।
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उत्तराखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल आशीष नैथानी की ओर से निलंबन आदेश जारी हुआ है। आदेश में कहा गया है कि अनुज कुमार संगल के खिलाफ कुछ आरोपों पर अनुशासनात्मक जांच पर विचार किया जा रहा है। उनके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियम 2003 के नियम 7 के तहत नियमित जांच शुरू की जाएगी इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।
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अनुज संगल पर आरोप है कि रजिस्ट्रार (सतर्कता) के रूप में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में तैनाती के दौरान उन्होंने अपने आवास पर तैनात एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हरीश अधिकारी को नियमित रूप से डांट-फटकार कर सुबह आठ से रात 10 बजे तक और उससे भी अधिक समय तक ड्यूटी करने को लेकर परेशान किया गया। संघल पर आरोप है कि उन्होंने अनुशासन समिति को अपने 18 नवंबर 2023 को दिये गये जवाब में कर्मचारी के कार्य समय और कार्य की प्रकृति के संबंध में गलत तथ्य बताकर अनुशासनात्मक प्राधिकारी को गुमराह करने का प्रयास किया।
साथ ही शिकायतकर्ता के अर्जित अवकाश की मंजूरी की प्रक्रिया में देरी करके अपने अधिकार का दुरुपयोग किया गया। परिणामस्वरूप उसका वेतन समय पर नहीं निकाला जा सका। इस प्रताड़ना के कारण पीड़ित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने तीन जनवरी 2023 को उनके आवास के सामने जहर खाया था। किंतु आरोपित न्यायिक अधिकारी के द्वारा अनुचित प्रभाव का उपयोग करके चतुर्थ श्रेणी कर्मी द्वारा जहर खाने के पूरे मामले को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश से छिपाने का प्रयास भी किया गया।
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उच्च न्यायालय की ओर से कहा गया है कि किसी भी अधीनस्थ को परेशान करना और सेवा से हटाने की धमकी देना एक न्यायिक अधिकारी के लिए अमानवीय आचरण और अशोभनीय है और उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 2002 के नियम-3(1) और 3(2) के तहत कदाचार है। किसी कर्मचारी की छुट्टी स्वीकृत करने की प्रक्रिया में जानबूझ कर देरी करना, उसका वेतन रोकना और गलत व्यवहार करके अधीनस्थ को जहर खाने जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर करना भी एक अमानवीय व्यवहार है।