उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चार चीनी नागरिकों के अपने वतन लौटने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद निचली अदालत को आदेश दिया है कि उनके केस को 6 माह के भीतर निस्तारित करें ।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने इस आदेश के साथ याचिका को निस्तारित कर दिया है। सरकार की तरफ से स्थिति स्पष्ठ करते हुए कहा गया कि अगर इनकी रिहाई हो जाती है, तो ट्रायल के दौरान ये अपने केस की पैरवी के लिए अपने वतन से वापस नही आएंगे। सरकार का पक्ष सुनकर न्यायालय ने निचली अदालत को आदेस दिए कि उनके केस को 6 माह के भीतर अंतिम रूप से निस्तारित करें।
मामले के अनुसार चार चीनी नागरिक वांग गुवांग, शू जेन, निहेपैंग और लियोजीन कांग भारत घूमने के लिए वर्ष 2018 में आये थे। इन्हें मुम्बई पुलिस ने सोने की तस्करी करने के आरोप में बंदी बना लिया था । बाद में इन लोगो को महाराष्ट्र उच्च न्यायालय ने जमानत पर रिहा कर दिया था। वर्ष 2019 में उत्तराखंड पुलिस ने इन्हें बनबसा में गिरफ्तार कर लिया। इनपर आरोप लगाया कि ये बनबसा के रास्ते नैपाल जा रहे थे और इनके पास इंडिया की फर्जी वोटर आई.डी.भी थी। पुलिस ने आई.पी.सी.की धारा 420, 120बी 467 में फर्जी वोटर आई.डी.बनाने के आरोप में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
निचली अदालत ने फर्जी वोटर आई.डी.बनाने के कारण इनकी जमानत याचिका निरस्त कर दी थी, इस आदेश के खिलाफ इन्होंने उच्च न्यायालय में जमानत प्रार्थरना पत्र दिया। पूर्व में उच्च न्यायालय ने इनकी जमानत मंजूर करते हुए कहा था कि चारों अभियुक्त हर हप्ते बनबसा थाने में अपनी हाजरी देंगे।चारों अभियुक्तों ने अपने वतन वापसी को लेकर याचिका दायर की गई है।