रिपोर्ट- विजय रावत
क्या बार-बार हाईकोर्ट की फटकार से जागेगी सोती त्रिवेंद्र सरकार।
जीरो टॉलरेंस की सरकार का इन दिनों यह आलम है कि इस सोती हुई सरकार को अब हाईकोर्ट की फटकार से जागना पड़ रहा है। कई विभाग ऐसे है जिनका सही से क्रियान्वयन के लिए बोर्ड तो बना दिये गए मगर यह सरकार इन बोर्ड की कार्यकारणी सदस्य बनाना भूल गयी।
ऐसे ही एक मामले को लेकर हल्द्वानी के फैजान अल्वी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की,जनहित याचिका में पूछा गया कि मदरसा बोर्ड में कोई भी कार्यकारणी अभी तक क्यो नही बनी। हाईकोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुवे सरकार से इस संदर्भ में जवाब मांगा कि आखिर अभी तक सरकार द्वारा क्यो मदरसा बोर्ड की कार्यकारणी समिति तैयार नही की गई ।
6 जून तक सरकार से कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया। संतुष्टिपूर्ण जवाब न मिलने से सरकार को हाईकोर्ट की फटकार भी सुनने को मिली और 3 दिन के भीतर इस कार्यसमिति को गठित करने को कहा गया।
फिर से 7 जून को विभागीय मंत्री यशपाल आर्य द्वारा इसमे अधिसूचना जारी कर दी गई और आनन-फानन में मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष बिलाल-उर-रहमान को बना दिया गया जिसका दुष्प्रभाव ये हुआ कि अल्पसंख्यक मोर्चा और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता इसका विरोध करने लगे। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रदेश संयोजक समेत कई सदस्यों ने स्तीफा दे दिया।
अब इस सरकार पर आरोप यह लग रहे है कि इनके द्वारा आनन-फानन में भीतरी मिली भगत से बाहरी ब्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जिसका मदरसा बोर्ड की कार्यकारणी से कोई लेना देना ही नही है ।
अब ठीक दूसरा ऐसा ही मामला भाषा संस्थान अकादमी का है जंहा 4 भाषा जिसमे हिंदी,उर्दू,पंजाबी ओर लोकभाषा अकादमी के गठजोड़ किया गया।
इसमे भी 2018 में कार्यकारणी सदस्य के लिये जिओ पारित तो कर दिया गया ,मगर इसमे भी ठीक मदरसा बोर्ड की तरह बोर्ड तो बना लेकिन कार्यकारणी सदस्य का गठन इसमे भी अभी तक नही हो पाया। आखिर भाषा जैसे मुख्य अकादमी की ये अनदेखी किस लिए हो रही है इसका जवाब खुद त्रिवेंद्र सरकार भी नही जानती है। ऐसा लगता है मानो अब हर बार हाईकोर्ट की फटकार के बाद ही इस सोती सरकार की नींद खुलती है।
जब हाईकोर्ट को ही हर मामले में दखल देना पड़ जाए तो फिर इस सरकार का क्या काम रह जाता है।