हिमाचल में पूर्व 25 दिन से फंसे सीमावर्ती गांव के लोग। उत्तराखंड सरकार बेसुध
रिपोर्ट- सतपाल धानिया
विकासनगर। सहसपुर विधानसभा के तिमली गांव के एक दर्जन से अधिक मजदूर हिमाचल के पौंटा साहिब में पच्चीस दिन से फंसे हुए है। लेकिन इन मजदूरो की सुध न विधायक, न सांसद और न ही उत्तराखंड का शासन-प्रशासन ले रहा है. मजदूरो के परिजनो द्वारा हर जगह गुहार लगाई गई है। लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नही है। पंजाब से मजदूरो का यह जत्था सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर हिमाचल के पौंटा साहिब तक पहुंच गया था। परंतु पौंटा साहिब से इन मजदूरो का गांव महज 15 किलोमीटर पर सहसपुर विधानसभा के तिमली में स्तिथ है।
ऐसे में पच्चीस दिन से इन मजदूरो को क्वारंटाइन किया हुआ है। हालाकि इन मजदूरो का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया लेकिन कोई भी मजदूर संक्रमित नही पाया गया है। इनके बारे में हिमाचल के प्रशासन से भी संपर्क किया गया। उनका यह कहना है कि, उत्तराखंड सरकार की तरफ से मजदूरो को इनके घर भेजने के लिऐ कोई पहल नही की गयी है और ना ही कोई पत्राचार किया जा रहा है। जिस वजह से पौंटा साहिब प्रशासन को इन मजदूरो को वही रोकना पड़ रहा है।ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि, जब 15 किलोमीटर दूर से उत्तराखंड सरकार अपने गांव और घर से दूर मजदूरो को नही ला पा रही है, तो सैकड़ों किलोमीटर दूर फंसे उत्तराखण्ड वासियों को प्रदेश सरकार कैसे लायेगी।
ऐसे में जो मजदूर पौंटा साहिब में फंसे हुए है। उनके परिवार की स्तिथि क्या होगी? बताया जा रहा है कि, जहां पर इन मजदूरो को कोरोनटाइन किया गया है वहा भी इनकी बात को नही सुना जा रहा है। परिजनो द्वारा बार-बार गुहार लगायी जा रही है। लेकिन उत्तराखण्ड सरकार के नुमाइन्दो और सरकारी अमले इन मजदूरो को लेकर कोई भी गंभीर दिखाई नही दे रहा है। ऐसे में अब मजदूरो में आक्रोश भी पनपने लगा है। कोई भी मजदूर मानसिक तनाव के चलते कोई भी कदम उठा सकता है।
क्योंकि हाल ही में सहसपुर विधानसभा अन्तर्गत सभावाला गांव में भी क्वारंटाइन किये गए मजदूर द्वारा गंभीर कदम उठाया गया था। ऐसे में उत्तराखंड शासन-प्रशासन को इन मजदूरो को उत्तराखंड लाने के लिऐ कोई ठोस रणनीति बनाकर घरों में ही क्वारंटाइन करने पर भी विचार किया जा सकता है। जिससे मानसिक तनाव झेल रहे मजदूरो को राहत पहुचायी जा सके।