केदारनाथ विधानसभा सीट से कांग्रेस ने मनोज रावत को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। केदरनाथ उपचुनाव में नामांकन की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर है। मनोज रावत 2017 से 2022 तक विधायक रहे हैं। फिलहाल बीजेपी के उम्मीदवार का इंतजार किया जा रहा है। मनोज रावत के नाम पर कांग्रेस के ज्यादातर सीनियर नेता सहमत थे। हालांकि कुछ नेताओं ने इस पर एतराज भी जताया था मगर बहुमत मनोज रावत के पक्ष में ज्यादा था लिहाजा आलाकमान ने उनके नाम पर मुहर लगा दी।
मनोज रावत ने 26 अक्टूबर को ही देहरादून में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए जमीनों की खरीद फरोख्त को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि चुनाव के दौरान वो सरकार के कई और कारनामे उजागर करेंगे। फिलहाल कैंडिडेट डिक्लियर कर कांग्रेस ने बाजी मार ली है, बीजेपी किसे प्रत्याशी बनाएगी इसका इंतजार किया जा रहा है।
उपचुनाव में परीक्षा की घड़ी
केदारनाथ उपचुनाव दोनों दलों के लिए परीक्षा की घड़ी है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी है। प्रत्याशी चयन से पहले जिस तरह पर्यवेक्षकों की टीम और प्रदेश अध्यक्ष के बीच मतभेद सामने आए उसे लेकर नौबत दिल्ली जाने तक की आ गई थी। कांग्रेस प्रवक्ता और केदारनाथ सीट से टिकट के दावेदार रहे शीशपाल बिष्ट ने तो पर्यवेक्षकों पर भेदभाव करने तक का आरोप लगा दिया था। इस पूरे प्रकरण पर आलाकमान को कहना पड़ा था कि सभी मदभेद भूलकर नेता एकजुटता के साथ आगे बढ़ें। अब मनोज रावत के नाम का ऐलान हुआ है मगर बड़ा सवाल है कि क्या पिछला विवाद भूलकर नेता एकजुटता के साथ काम कर पाएंगे? क्या बदरीनाथ और मंगलौर की तरह ही कांग्रेस केदारनाथ में उपचुनाव जीत पाएगी? मनोज रावत के सामने भी ये चुनौती होगी कि वो राज्य के सीनियर नेताओं और पार्टी आलाकमान की उम्मीदों पर खरे उतरें। क्योंकि 2022 के चुनाव में वो तीसरे नंबर पर थे और 2017 में उनकी जीत का अंतर 900 वोट से भी कम का था। ऐसे में इस बार मनोज रावत कांग्रेस कार्यकर्ताओं और केदारनाथ की जनता का भरोसा कैसे जीत पाएंगे ये काफी अहम होगा। प्रचार की शुरुआत से मनोज रावत कैसे अपना अभियान आगे बढ़ाएंगे, सभी नेताओं और टिकट के दावेदार रहे लोगों को कैसे साधेंगे इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। गुटबाजी से बीजेपी भी जूझ रही है वहां भी दावेदारों के अलग-अलग बयान पार्टी की परेशानी बढ़ा रहे हैं। आशंका है कि कैंडिडेट का ऐलान होने पर बीजेपी के कुछ दावेदार बागी भी हो सकते हैं। फिलहाल ये चुनाव बेहद दिलचस्प है ऐसे में जनता किसका साथ देगी इस पर सबकी निगाहें रहेंगी।