सहकारिता विभाग में 60 पदों पर हुई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती घोटाले के खुलासे के बाद रजिस्ट्रार आलोक पांडेय ने 29 मार्च को भर्ती पर तत्काल रोक लगा दी थी। लेकिन घोटालेबाजों ने सभी फर्जी तरीके से नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों की उपस्थिति बैक डेट यानी कि 25 मार्च को दर्शा दी। इस फर्जीवाड़े की पुष्टि बैंक की सीसीटीवी फुटेज और डिस्पैच रजिस्टर में भी हो चुकी है और मामले के उछलने के बाद इन सभी 60 कर्मचारियों के पिछले 4 माह से वेतन आहरण पर भी रोक लगी है। अब इस घोटाले से जुड़े कुछ भ्रष्ट अधिकारी इन सभी चहेद 60 कर्मचारियों को गुपचुप तरीके से इनके खाते में 4 माह का वेतन, जो करीब डेढ़ लाख प्रति कर्मचारी के हिसाब से बनता है, देने की तैयारी कर रहा है। पिछले दरवाजे से नौकरी लगे इन लोगों को वेतन देने के लिए बैंक के एक बड़े अधिकारी ने प्रभारी जीएम देहरादून से सिफारिश भी की है। हालांकि अभी तक भर्ती घोटाले की जांच चल ही रही है तो बैंक के जनरल मैनेजर ने इनके वेतन निकासी पर सहमति जताने से मना कर दिया। हैरानी की बात है यह घोटाला प्रदेश में चर्चा का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है और यह सब कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत की नाक के नीचे हो रहा है लेकिन मंत्री महोदय अभी तक अपने अधीन सहकारिता विभाग घोटाले के आरोपियों पर कोई कार्यवाही नहीं कर सके हैं।
नए कर्मचारियों का वेतन मिलते ही पुरानों की छुट्टी तय
सहकारिता विभाग की विभिन्न शाखाओं में पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से दर्जनों कर्मचारी आउटसोर्सिंग एवं संविदा के तहत अपनी सेवाएं दे रहे हैं। भर्ती निकलने के बाद वर्षों से कार्यरत इन संविदा कर्मचारियों को अतिरिक्त 10 अंक देने का प्रावधान है लेकिन चहेतों को नियुक्ति देने के चक्कर में पुराने संविदा के तहत लगे कर्मचारियों को वरीयता नहीं दी गई न ही इनको बोनस के 10 अतिरिक्त अंक दिए गए। अब पिछले दरवाजे से लगे इन 60 कर्मचारियों का वेतन निकलते ही पुराने अस्थाई कर्मचारियों को बैंक बाहर करने की तैयारी कर रहा है। जिसका कि यह कर्मचारी पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
इन कर्मचारियों का वेतन रोकने के लिए बैंक के सात निदेशकों ने रजिस्ट्रार को पत्र भी लिखा है। जिसमें निदेशकों का आरोप है कि इनका वेतन निकालने के लिए रजिस्ट्रार की अनुमति आवश्यक है। इन कर्मचारियों को बिना सत्यापन किए रखा गया है और इनसे विभागीय कार्य किया जा रहा है। इनके द्वारा बैंक की कोई भी अनियमितताओं की संपूर्ण जिम्मेदारी बैंक के सचिव/ महाप्रबंधक की होगी।