घर भेज दो सरकार मंडराने लगा है रोजी रोटी का संकट
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
थराली। देशभर में कोरोना से रोकथाम के लिए लॉकडाउन का चौथा फेज भी अब 18 मई से शुरू हो चुका है, उत्तराखंड में जहां 22 मार्च से ही लॉकडाउन की घोषणा के बाद सब घरों में कैद रहे। वहीं निर्माण कार्य बंद होने के चलते कई ध्याडी मजदूरों, कामगारों के आगे रोजगार पर भी इसका प्रभाव पड़ा। चमोली जिले के थराली क्षेत्र सहित नारायणबगड़, देवाल जैसे इलाको में सैकड़ो, हजारों की तादात में बिहारी और नेपाली मजदूर ध्याडी यानी दैनिक मजदूरी के लिए यही अस्थायी तौर पर निवास करते हैं। लेकिन इस बार कोरोना की मार के चलते इन मजदूरों की रोजी रोटी पर संकट आन पड़ा है।
ऐसे में इन पहाड़ी क्षेत्रों में रह रहे मजदूरों को घर की चिंता सताने लगी है, सभी घर तो जाना चाहते हैं लेकिन जानकारी के अभाव और पास न बन पाने की वजह से ये मजदूर केवल तहसील कार्यालय के ही चक्कर लंबे समय से काट रहे हैं। इन दैनिक मजदूरों के पास लगभग दो माह से रोजगार न होने के चलते रोजी रोटी का संकट तो बना ही हुआ है वहीं जानकारी के अभाव और इंटरनेट सहित एंड्रॉयड मोबाइल फोन न होने की वजह से ये मजदूर राज्य सरकारो की ई-पास सेवा का भी लाभ नही ले पा रहे हैं। ये मजदूर रोज तहसील कार्यालय पहुंचकर उपजिलाधिकारी के सामने अपना दुखड़ा तो रोते हैं लेकिन अधिकारी भी करे तो क्या करे? नियम से इतर केवल एक प्रार्थना पत्र पर भी राज्य से बाहर जाने की अनुमति भी नही दे सकते हैं।
ऐसे में मीडिया से बातचीत में उपजिलाधिकारी थराली किशन सिंह नेगी ने भी जानकारी देते हुए कहा कि, उनके हाथ बंधे हुए हैं नियम से इतर वे इन मजदूरों को अनुमति नही दे सकते हैं और ई-पास के लिए इन मजदूरों को जानकारी का अभाव और एंड्रॉयड मोबाइल की अनुपलब्धता से ये आवेदन भी नही कर पा रहे हैं। ऐसे में शासन स्तर पर ऐसे मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए नियमो में शिथिलता बरतने की आवश्यकता है। अब ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि, भारत निर्माण में अपना योगदान देने वाले इन दैनिक मजदूरों की घर वापसी के लिए सरकार किस तरह के निर्देश जारी करती है। ताकि सुगमता से इन मजदूरों का आवेदन भी हो सके और प्रशासन इन्हें घर भी भेज सके।