नगर पालिका के पास लग रहे सब्जी बाजार में धड़ल्ले से उड़ाई जा रही लॉकडाउन के नियमो की धज्जियां
रिपोर्ट- दिलीप अरोरा
ऊधमसिंह नगर। किच्छा शहर के इंदिरा गांधी खेल मैदान में अप्रैल के पहले हफ्ते से लग रहे बाजार में लगातार नियमो को तांक पर रखकर सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक बनाने के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण नियमो की भी अनदेखी की जा रही है। इसमें हैरानी बात है कि, राज्य में और देश में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजो की भी संख्या बढ़ रही है। उत्तराखंड अभी पूर्ण रूप से कोरोना मुक्त नही हो पाया है। ऊधम सिंह नगर को भी अभी 9 जिलो की तरह ज्यादा छूट प्रदान नही की गयी है। ऐसे में प्रशासन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि, लोगों से सख्ती से नियमो का पालन कराये ताकि कोई भी छोटी सी चूक पुरे प्रदेश के लिए घातक सिद्ध न हो पाये।
लेकिन किच्छा के इस बाजार को देख कर कोई नही कह सकता की यहाँ कोरोना जैसी बीमारी के लिये प्रशासन गम्भीर है। इससे पहले हफ्ते में दो दिन यह बाजार लगता था किन्तु लॉकडाउन पार्ट वन खत्म होने के पहले से यह बाजार लगातार लग रहा है और सभी महत्वपूर्ण नियमो खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। हैरानी की बात है कि, यह बाजार जहां लग रहा है वह कोतवाली, तहसील, एसडीएम कार्यलय, और कोतवाली के बिलकुल समीप है। बावजूद इसके यहाँ प्रशासन को सतर्क रहना चाहिये था, तो वही कोई भी अधिकारी अंदर जाकर इसमें फैली अनिमित्ताओ की खबर तक लेना नही चाहता। नतीजा इसमें महतवपूर्ण नियमो के साथ अन्य नियमो की भी धज्जियाँ उड़ाई जा रही है। जैसे इसमे ज्यादातर दुकानदार स्वयं बिना मास्क लगाये सब्जी व फल बेच रहे है। साथ ही यहां आने वाले लोग भी ज्यादातर बिना मास्क के घूमते दीखते है।
इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग तो मानो यहां है ही नही। सब एक दूसरे के साथ ऐसे खड़े दिखते है जैसे इनको कोरोना के खतरे की जानकारी ही न हो। इसके अलावा बाजार में लोगों द्वारा अपने साथ छोटे बच्चों को भी बिना मास्क के लाया जा रहा है। यहां मौजूद दुकानों पर 5 से 15 वर्ष तक के दर्जनों बच्चे काम करते हुए भी देखे जा सकते है, वो भी बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का उलंघन करते। यही नही इस बाजार में पर्यावरण की सबसे बड़ी दुश्मन पौलोथिन का भी जमकर उपयोग किया जा रहा है। कुछ समय पूर्व इसको पर्यावरण के लिए हानिकारक मानते हुए पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर कपड़े के थैलो का उपयोग करने को कहा गया था। ऐसा न करने पर इसके लिए जुर्माने का भी प्रावधान था। किन्तु सवाल यही है कि, सभी सरकारी कार्यालयों के पास इस बाजार का होना और इतने सारे नियमो की धज्जियाँ उड़ना कहीं न कहीं कुछ तो सवाल उत्पन्न करता ही है।
इस बाजार में सब्जी के अलावा अन्य फड़ भी लग रहे है जिनमे चप्पल के फड़ है। जब इसकी जानकारी जुटानी चाहिये और दुकानदारो से बात की गयी की यहां नियमो का पालन क्यों नही हो पा रहा है और इतनी संख्या में वो लोग यहां कहा से और कैसे आये। तो पता चला की इनमे कुछ शुरू से यही कार्य करते थे, तो कुछ कारपेंटर, पेंटर, और फैक्ट्रियो में काम करते थे और अब फ़िलहाल वो सब्जी बेच रहे है। जिसके लिए उनसे यहां बैठने के लिए नगर पालिका द्वारा तहबजारी का शुल्क भी लिया जा रहा है। शुल्क प्रतिदिन लिया जा रहा है। शुल्क भी अलग-अलग वसूले जा रहे है। कभी वह लोग इसके लिए 30 रुपए से 60 70 रुपए तक देने को मजबूर है। उनका कहना है कि, यदि वह शुल्क नही देते है तो उनको यहां सब्जी बेचने नही दिया जायेगा।
हैरानी की बात है कि, जहां आवश्यक वस्तुओ को घर घर पहुचाने के लिए होम डिलिवरी व्यवस्था लागू है और इसके लिए गाड़िया गली मोहल्लों में भी आ रही है। जहां सोशल डिस्टेंसिंग का लोग अच्छे से पालन करके समान भी ले रहे है और इसके लिए प्रशासन द्वारा इनके पास भी बनवाये गए थे तो फिर ऐसे में इस हॉट बाजार को लगाकर प्रशासन रिस्क क्यों ले रहा है? बाजार में मौजूद दुकानदारो से जब पूछा गया कि, उनको इसके लिए किसी प्रकार के पास उपलब्ध कराये गए है तो उनका कहना था कि, उन्हें इस बारे में कुछ नही पता। यह बाजार लॉक डाऊन पार्ट 2 शुरू होने से भी पहले से लग रहा है। इसके लिए और इसमें हो रहे नियमो के उलंघन पर जब नगर पालिका अधयक्ष से पूछा गया तो उन्होंने इसकी जानकारी न होने की बात कहकर ईओ से बात करता हूँ कह दिया। जब शुल्क वसूलने वाले कर्मचारी से पूछा तो उन्होंने इसे ईओ साहब का आदेश है कह दिया।
जब इस पर ईओ साहब से पूछा गया तो उन्होंने भी पूरा उत्तर न देते हुए यह कह दिया कि, covid 19 पम्प्लेट्स पढ़ो पहले फिर बात करना और वीडियो से साबित नही होता की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नही हो रहा है। यह निश्चित रूप से हैरान करता है कि, एक तरफ प्रशासन कहता है कि, लोग सतर्क रहे प्रशासन का सहयोग करे और महत्वपूर्ण जानकारी प्रशासन के साथ साझा करे। तो ऐसे में प्रशासन को इस बाजार में मौजूद कमी बताना कौन सी गलत बात है। इस पर उनसे जानकारी लेना क्या गलत है? फ़िलहाल यह बाजार कहीं उत्तराखंड के लिए खतरा न बन जाये इसके लिए प्रशासन को इसमें सख्त एक्शन लेते हुए नियमो का पालन करवाने के लिए प्रयास करना चाहिये। यदि आवश्यक न हो तो फ़िलहाल स्थिति के पूर्ण रूप से सही होने तक इसको बन्द करा देना चाहिये या हफ्ते में दो दिन की अनुमति देनी चाहिए। देखना होगा की प्रशासन इसका संज्ञान कब लेता है।