एक्सक्लूसिव खुलासा : मेट्रो की जमीन को खुर्द बुर्द करने की तैयारी। 90 करोड़ खर्च करने के बाद अब पार्क का प्रस्ताव
देहरादून में आईएसबीटी के नजदीक जिस भूमि पर मेट्रो बनाए जाने के नाम पर अब तक 90 करोड़ रुपए खर्च हो गए हैं, उस पर एक पत्थर तक तो रखा नहीं गया है लेकिन अब उस जमीन पर करोडो रुपए की लागत से पार्क बनाए जाने की तैयारी की जा रही है।
गौर तलब है कि लगभग ₹2300 करोड रुपए की मेट्रो रेल परियोजना अब अपनी अंतिम सांसें गिन रही है।
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में जितेंद्र त्यागी और बृजेश मिश्रा दो प्रबंध निदेशक बिना किसी कामकाज के अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और अब तीसरे प्रबंध निदेशक की नियुक्ति का मामला गतिमान है। वहीं इस जमीन पर पार्क बनाए जाने को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।
विगत दिनों धर्मपुर विधानसभा के विधायक विनोद चमोली, मेयर सौरभ थपलियाल और आईएसबीटी के नजदीक इस भूमि से लगे एमडीडीए हाउसिंग सोसायटी के अध्यक्ष देशराज कर्णवाल इस भूमि पर अब पार्क बनाने की तैयारी कर रहे हैं
एमडीडीए एचआईजी हाउसिंग सोसायटी के अध्यक्ष के नाते देशराज कर्णवाल ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि आने वाले समय में दिल्ली से देहरादून की दूरी ढाई घंटे में तय होगी इसलिए आईएसबीटी के नजदीक अच्छा इंप्रेशन रहेगा यदि यहां पर पार्क बनेगा।
अहम सवाल यह है कि एमडीडीए ने जब जहां पर वर्ष 2017 में आवासीय परियोजना बनाई थी तो खरीदारों को यही सपने दिखाए गए थे कि इस आवासीय परियोजना से मेट्रो का स्टेशन बनेगा और यह आवासीय योजना मेट्रो से लगी हुई है। मेट्रो के ख्वाब बुनते हुए खरीदारों ने यहां पर फ्लैट खरीद लिए लेकिन अब वह अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने सरकार से मांग की है कि मेट्रो परियोजना के नाम पर खर्च किए गए 90 करोड़ रुपए की भारी भरकम धनराशि का स्पेशल ऑडिट कराया जाए, साथ ही इस बात की भी अलग से जांच की जाए कि मेट्रो की भूमि पर पार्क प्रस्तावित किए जाने के पीछे क्या मंशा हो सकती है!
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग मेट्रो की बेशकीमती जमीन को खुर्द करना चाहते हैं इसलिए यहां पर पार्क स्थापित कराया जा रहा है।
शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि मेट्रो के नाम पर निजी शापिंग परिसर में आलीशान ऑफिस बनाया गया है और इसके नाम पर भारी भरकम धनराशि खर्च हो रही है किंतु जिस भूमि पर मेट्रो प्रोजेक्ट स्थापित होना है वहां पर एक पत्थर और एक बोर्ड तक नहीं लगाया गया है।