वैसे तो उत्तराखंड सरकार चारों ओर वाह वाही लूट रही है,एक साल बेमिसाल के नारे भी लग रहे हैं,परंतु आज भी जहां एक ओर सुदूर पहाड़ी इलाकों में श्रमदान से सड़क बनाने की बातें सामने आ रही हैं तो मैदानी क्षेत्र भी इस परिस्थिति से कुछ अलग नहीं है।
ऐसा ही क्षेत्र है लालकुआं विधानसभा का हल्दुचौड़ दौलिया जहां बबूर गुमटी से लेकर देवरामपुर सागर स्टोन क्रेशर तक की सड़क आज नहर से भी अधिक बुरी स्थिति में है।
बताते चलें यह सड़क लालकुआं के एजुकेशन हब को जोड़ने वाली एकमात्र लिंक रोड है,जिसमे सागर,पाल आदि स्टोन क्रेशर व गौला की गाड़ियां आते जाते रहती है,साथ ही इस रोड पर लगभग 22 ऑगनबाड़ीया,13 विद्यालय व लालकुआं का एकमात्र महाविद्यालय लाल बहादुर शास्त्री राजकीय महाविद्यालय हल्दूचौड़ भी स्थित है ।
गौरतलब यह है कि जब स्कूल का समय होता है तो इस रोड पर लगभग 4000 से 5000 छात्र छात्राओं का आना जाना लगा रहता है व 8 फिट की सड़क पर बड़े बड़े वाहन चलने के कारण स्कूल व अन्य समय पर ग्रामवासी हादसों का शिकार होते रहते है,इस कारण सड़क पर बड़े वाहनों की आवाजाही बन्द करने हेतु व वैकल्पिक मार्ग से डाइवर्ट जाने हेतु आदेशित करने का निवेदन क्षेत्रवासी विधायक मंत्री, मुख्यमंत्री,केंद्रीय सड़क मंत्री सभी से कर चुके है।
इस समय वर्तमान में इस सड़क की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है की सड़क में गड्ढे नहीं गड्ढों में ही सड़क है।
दयनीय बात तो यह है कि समाजसेवी पीयूष जोशी द्वारा पूर्व में मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल पर शिकायत कर 2018 में रोड के निर्माण हेतु लोक निर्माण विभाग से पत्राचार कर 251 लाख की डीपीआर तैयार करवाई गई लेकिन सड़क नहीं बन पाई।
हाल ही में जब पुनः समाजसेवी द्वारा पहल की गई तो इस सड़क की अनुमानित लागत पुनः आकलन के बाद जो शासन को भेजी गई हैं वह 548 लाख की डीपीआर भेजी गई
ऐसे में 10 सालों में जो जनता को जो परेशानियां हुई वह तो अलग उसके विपरीत डीपीआर में दोगुना इजाफा हुआ।
इस मामले मे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अपर सचिव ने भी संज्ञान लेते हुए प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग को व्यापक जन उपयोगिता/आवश्यकता की दृष्टि से परीक्षण कर कार्यवाही करने अथवा स्पष्ट मंतव्य के साथ प्रस्ताव सक्षम स्तर को प्रेषित किये जाने के आदेश कर चुके है।
अब देखना यह होगा कि क्या मुख्यमंत्री के आदेश के बाद यह सड़क बन पाती है और स्कूली सड़क पर बड़े वाहनों पर प्रतिबंध लगाने कि यह जो मांग लगातार ग्रामीण कर रहे हैं वह पूरी हो पाती है या नहीं
या फिर “एक साल बेमिसाल” के नारे केवल सोशल मीडिया पर ही चर्चा का विषय बने रहेंगे।
इतनी बार लगा चुके हैं शासन से गुहार
1. 2018 में समाधान पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने व विभाग से पत्राचार के बाद 251 लाख की डीपीआर बनवा कर शासन को भेजी,बजट के अभाव में प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया।
2. सड़क नही बनी तो पुनः 2021 में सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने के बाद पुनः विभाग द्वारा उक्त मार्ग वार्षिक अनुरक्षण मद के लिए प्रस्तावित किया गया परंतु फिर भी निर्माण नहीं हुआ।
3. नवंबर 2022 में राज्य सेवा के अधिकार व सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद पेंच-मरम्मत का आश्वासन लोक निर्माण विभाग के द्वारा दिया गया,परंतु सड़क के गड्ढों की स्थिति यथावत बनी रही।
4. दिसंबर 2022 में मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति,केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री को पत्र लिख सड़क निर्माण की मांग समाजसेवी द्वारा की गई,जिस क्रम में लोक निर्माण विभाग द्वारा पुनः 548 लाख का प्रस्ताव विशेष सहायता योजना के अंतर्गत शासन को भेजा गया ,जिसपर निर्माण शेष है।
परंतु ना तो विभाग सुन रहा है ना शासन और ना ही प्रशासन,2018 में शिकायत कर जो डीपीआर बनवाई थी उस सड़क की लागत 251 लाख थी,आज बढ़कर 548 लाख हो गई है,फिर भी सड़क का निर्माण कार्य शुरू नहीं करवाया जा रहा है,ऐसा ही चलता रहा तो जनता की समस्याओं के साथ-साथ सड़क पर दुर्घटनाएं भी बढ़ती रहेंगी ।
वहीं ग्राम पंचायत सदस्य पुष्पा जोशी का कहना हैं कि
“उत्तराखंड सेवा का अधिकार अधिनियम में स्पष्ट लिखा है कि सड़क पर गड्ढे होने की सूचना के 48 घंटों के अंदर सड़क के गड्ढे विभाग को भरने होते हैं,परंतु दुर्भाग्य का विषय यह है कि बार-बार विभाग को सूचित करने के बाद भी सड़क के गड्ढे लगभग 15 वर्षों से वैसे के वैसे हैं,बेशर्मी तो यह है कि जब शिकायत की जाती है तो विभाग स्वयं यह लिखकर भेज रहा है कि 8 वर्षों से सड़क पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया,जबकि क्षेत्रवासी लगातार शिकायत कर रहे हैं कि गड्ढे भर दिया जाए,अन्यथा ग्रामीण आंदोलन कि राह पर चलेंगे