बड़ी खबर : उद्यान विभाग की लापरवाही से रुके 17 हजार पाली हाउस, बजट के बावजूद सात माह से अटकी योजना
उत्तराखंड सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट पाली हाउस जिनकी संख्या लगभग 17 हजार है उद्यान विभाग की लापरवाही की वजह से अटका हुआ है,
सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट
उत्तराखंड : दरअसल उत्तराखंड सरकार राज्य के सीमांत पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने और किसानों की माली हालत को सुधारने और ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को सेहत मंद बनाने के लिए 17 हजार पाली हाउस बनाने वाली थी, जो की सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन उद्यान विभाग की लापरवाही की वजह से ये ड्रीम प्रोजेक्ट सपना बन कर ही रह गया जबकि नाबार्ड से इस योजना के लिए विभाग ने 7 महीने पहले ही मॉबलाइजेशन एडवांस के रूप में 99 करोड़ की धनराशि भी ले ली थी ।
जिसका उपयोग अभी तक विभाग नही कर पाया है । उधर राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए सरकार नाबार्ड से सस्ते ऋण के रूप में धन पाने के लिए जोरों शोरों से लगी हुई हैं इधर उद्यान विभाग मिली हुई राशि का भी सही तरीके से उपयोग नहीं कर पा रहा है ।
आपको बता दें पिछले वित्तीय वर्ष 2022 -23 में सरकार ने 17 हजार पालीहाउस बनाने के लिए नाबार्ड से 300 करोड़ रुपए स्वीकृत कराए थे। जिसके बाद नाबार्ड ने 30 प्रतिशत यानी 99 करोड़ मोबिलाइजेशन एडवांस के रूप में उद्यान विभाग को दे दी थी। लेकिन 7 महीने बीत जाने के बाद भी विभाग द्वारा इस धन राशि का उपयोग नहीं किया जा सका है इसकी बड़ी वजह टेंडर में फंसे हुए पेंच को बताया जा रहा है, एडवांस दी हुई धनराशि का जब तक उपयोग नहीं हो जाता ओर उपयोगिता का प्रमाणपत्र नही नही मिलता तब तक नाबार्ड अगली किश्त जारी नही करेगा।
विभाग का ढीला रवव्या
कई उदहारण है जहां विभाग ने ढुलमुल रव्यय्या अपनाया हुआ है जैसे चाहे पिछला वित्तीय वर्ष 202-23 हो या वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023 -24 विभाग की तरफ से देखने को मिली है तो सिर्फ लापरवाही।
दरअसल सरकार लगभग 1090 करोड़ की राशि विभिन्न विभागीय योजनाओं के लिए प्राप्त करने का प्रयास कर रही है, विभागों ने लगभग 906 करोड़ का प्रस्ताव नाबार्ड को भेजा जिसमें नाबार्ड के द्वारा 501 करोड़ धनराशि को ही हरी झंडी मिली है, आपको बता दें सरकार ने 900 करोड़ का लक्ष्य रखा हुआ था लेकिन वितरण के लिए सिर्फ 273.92 करोड़ की राशि को ही स्वीकृत मिली है।
मोबिलाजेशन एडवांस की उपयोगिता का प्रमाण पत्र न मिलने से नाबार्ड द्वार अगली किश्त नही मिल पा रही है जिसका प्रभाव विकास कार्यों की गति पर भी पढ़ रहा हैं।
वित्त सचिव दिलीप जावलकर द्वारा कहा गया की नाबार्ड से विभागीय योजनाओं के वित्तपोषण के लिए लगातार अनुश्रवण किया जा रहा है, विभागों को इस मामले में तेजी से कार्य करने को कहा गया है ।
उद्यान महानिदेशक रणवीर चौहान द्वारा कहा गया की पालिहाउस के लिए टेंडर भरे गए थे जो निरस्त हो गए है,ओर अब नए सिरे से टेंडर भरे जा रहे है