उत्तराखंड : कोरोना के कारण उत्तराखंड की महिलाओं की प्रबंधकीय पदों पर भारी गिरावट आई है। आंकड़ों के अनुसार यह गिरावट लगभग साढ़े तीन गुना से भी ज्यादा है। प्रबंधकीय पदों पर 2020 में जहां महिलाओं की भागीदारी 11.7 प्रतिशत थी वही 2021 में गिरकर मात्र 3.3 प्रतिशत रह गई है।
जबकि देखा जाए तो देश में 2020 से 2021 तक यह आंकड़ा केवल 18.7% से घटकर 18% तक ही मामूली गिरा।
केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियावंत मंत्रायलय के आने वाले राष्ट्रिय सांख्यिकी कार्यालय के सामाजिक आंकड़ा प्रभाग को ताज़ा रिपोर्ट ‘विमेन एंड मेन इन इंडिया -2022’ उत्तराखंड में वरिष्ठ अधिकारी, विधायक और प्रबंधक के रूप में काम करने वाली महिलाओं के प्रतिशत में भी भारी कमी
आई है। जो आंकड़ा 2020 में 13.3 प्रतिशत था वो 2021 में घटकर केवल 3.6 प्रतिशत रह गई है, वहीं देश में इतनी गिरावट नही आई। देश में (2020) जो आंकड़ा 23.2 प्रतिशत था (2021) में 22.2 प्रतिशत ही रही। देखा जाए तो यह गिरावट मात्र न के बराबर ही है। राज्य में पुरुष श्रमिकों के लिए वरिष्ठ व माध्यम प्रबंधन में काम करने वाली महिलाओं की बात करें तो 2020 में यह 11.7 प्रतिशत थी जो 2021 घटकर 3.4 फीसद ही रह गया। जबकि देश में यह आंकड़ा 18.8 से घटकर केवल 18.1 ही नीचे गिरा।
महिलाओं की भागीदारी केवल 11प्रतिशत रह गई विधान सभा में
उत्तराखंड की 70 सीटों वाली विधान सभा में 62 सीटों पर पुरुष था 8 सीटों पर महिला प्रतिनिधि है।
देखा जाए तो महिलाओं की भागीदारी केवल 11% प्रतिशत ही रह गई है। जबकि लोकसभा में में 5 पुरुष पर 1 महिला प्रतिनिधि है और राज्यसभा में 3 पुरुष पर 1 महिला प्रतिनिधि है।
देखा जाए तो लोकसभा में महिला प्रतिनिधित्व 20 प्रतिशत तथा राज्यसभा में
महिला प्रतिनिधित्व 33 प्रतिशत है।