केंद्रीय मंत्री निशंक की बेटी ने बॉर्डर पर तैनात सैनिकों के लिए भेजे खादी के हैंडमेड मास्क
रिपोर्ट- ललित मोहन भट्ट
देहरादून। कोरोना वायरस से बचाव के लिए कई संस्थाएं लोगों की मदद के लिए काम कर रही हैं। लेकिन केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की बेटी और स्पर्श गंगा की राष्ट्रीय संयोजिका आरुषि निशंक ने बॉर्डर पर तैनात सैनिकों की सुरक्षा की चिंता करते हुए खादी के कपड़े से खुद मास्क बनाए हैं। स्पर्श गंगा देश और दुनिया में साल 2008 से काम कर रही है। पूरी दुनिया में साढ़े पांच लाख से ज्यादा लोग इस संस्था से जुड़े हुए हैं। स्पर्श गंगा की विभिन्न टीमों ने इन फेस मास्क को खादी के कपड़ों से खुद घर पर बनाया है। इन्हें धोकर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है।
आरुषि निशंक ने कहा कि, रक्षा बंधन पर प्रत्येक बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा का धागा बांधती है और भाई सदैव बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है। हमारे भाई तो जी जान से अपना प्रण निभा रहे हैं, तो फिर हम बहनों का भी धर्म है कि हम उस कलाई को सुरक्षित करें जो सदैव हमारी रक्षा के लिए तत्पर तैयार रहती है। इसलिए हमारी टीम ने 10 हजार मास्क आर्म फोर्स क्लीनिक दिल्ली को भेजे हैं। सेना के जो डॉक्टर एवं सैनिक हमारी सुरक्षा के लिए लगातार खड़े हैं। ये मास्क उन्हें उपलब्ध कराए जाएंगे।
एक बार प्रयोग में लेकर फेंके जाने वाले मास्क पर वायरस के होने से उससे और लोगों के भी कोरोना से संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए हाथ से बने मास्क ज्यादा उपयोगी हैं। उन्होंने कहा कि, स्पर्श गंगा की टीम ने एक्वाक्राफ्ट एनजीओ के साथ मिलकर इस काम की शुरूआत की है। इससे आर्थिकी बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण के संरक्षण एवं सवर्धन में भी सहायता मिलेगी।