रिपोर्ट:गुणानंद जखमोला
- आपसी रंजिश में प्रदेश का बुरा करने से नहीं चूकते हैं नेता
- नेताओं की संकीर्ण सोच का ख़ामियाज़ा भुगत रहे हम लोग
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के लिए पूर्व सी एम हरीश रावत मुसीबत बन गये हैं। हरदा रोज नये तरीके अपना कर प्रीतम को परेशान करने का आइडिया तलाश लेते हैं। हाल में गोदी मीडिया के रजत शर्मा की तारीफ कर प्रीतम को परेशान किया हैं।
हरदा कभी सी एम त्रिवेंद्र की तारीफ कर देते हैं तो कभी भाजपा समर्थित लोगों की। यानी कांग्रेस हाई कमान पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है कि मिशन 2022 का चेहरा पूर्व सी एम रावत हों। हरदा कांग्रेस की राजनीति को बखूबी जानते हैं। उन्हें पता है कि प्रीतम को सोनिया दरबार तक पहुंचने में 20 साल लगेंगे और वो सीधे दरबार में बेरोक-टोक आते हैं। कांग्रेस में पुराने वफादार को तवज्जो दी जाती है। यह बात हरदा से अधिक इस प्रदेश में कौन जानता है।
भाजपा भी इस तरह की कूटनीतिक से अछूती नहीं है। पूर्व सी एम जनरल बीसी खंडूड़ी ने तत्कालीन सी एम रमेश पोखरियाल को हटाने के लिए पूर्व ले. जनरल टीपीसी रावत के कंधों का सहारा लिया। जनरल रावत ने खुद मुझे बताया कि जनरल खंडूडी ने उन्हें धोखा दिया।
उन्हें कहा कि नई पार्टी बनाओ। उत्तराखंड रक्षा मोर्चा बन गया। जनरल रावत के अनुसार जनरल खंडूड़ी ने हाई कमान पर दबाव बनाया कि मुझे सी एम बनाओ नही तो नये दल में शामिल हो जाउँगा। बस, तीर काम कर गया। जनरल खंडूडी तो सी एम बन गये लेकिन जनरल रावत का राजनीति करियर समाप्त हो गया। फंड के अभाव में रक्षा मोर्चा चला ही नहीं और उसका आम आदमी पार्टी में विलय हो गया। इसी राजनीति का परिणाम सी एम त्रिवेंद्र को फिसड्डी सी एम का तमगा मिला है।
यूकेडी में तीन-चार नेता कुर्सी के इर्द-गिर्द इतना मजबूती से चिपके हैं कि फेवीकाॅल से भी मजबूत जोड है। वो किसी बड़े चेहरे को पार्टी में आने ही नहीं देते। कुछ दिन पहले हरिद्वार में कार्यकारिणी की बैठक हुई। इसी राजनीति के शिकार हुए पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह पांगती। उन्हें पार्टी अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने एक साल पहले यूकेडी में लाने का काम किया और बना दिया विशेष अधिकार समिति का अध्यक्ष।
बाद में पता लगा कि पार्टी संविधान में यह पद है ही नहीं। एक पूर्व आईएएस ठगा सा रह गया। खैर, पार्टी संविधान में बदलाव की बात हुई। कमिश्नर पांगती ने नया संविधान बना दिया, लेकिन कार्यकारिणी की बैठक में कुछ नेताओं ने इस पद को डिक्टेटरशिप करार दिया और पांगती जी को पार्टी में अवैध का ठप्पा लगा दिया। ये है उत्तराखंड की राजनीति के हाल।
दरअसल, उत्तराखंड मे राजनीति का स्तर बहुत घटिया है। इस राजनीति से हमने पिछले 20 वर्ष में कई अहम योजनाएं खो दी हैं। मसलन कांग्रेस के शासनकाल में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री हरीश रावत ने हरिद्वार में राष्ट्रीय स्तर का फ्लोरीक्लचर सेंटर बनाने की योजना लाए लेकिन तत्कालीन सी एम विजय बहुगुणा ने जगह ही नहीं दी।
अब वो सेंटर बंगलूरू में बनेगा। इसी तरह केंद्र की योजना के तहत हिमालय ग्लेशियर सेंटर निर्मित होना था। केंद्र से पैसा भी आ गया, पद भी स्वीकृत हो गये, लेकिन हमारे नेता निकम्मे बने रहे और इस सेंटर से हम हाथ धो बैठे। ये तो एक-दो ही उदाहरण हैं। हमारे नेताओं की घटिया मानसिकता और घटिया सोच का ख़ामियाज़ा हमारे पहाड़ के लोग जान-माल के नुकसान से भुगत रहे हैं। पता नहीं कब इस प्रदेश के नेताओं को सदबुद्धि आएगी।