खुलासा: फर्जी आयप्रमाण पत्र बनाकर फंसे आर.टी.ई वाले अभिभावक
रिपोर्ट- अश्वनी
रुद्रपुर। उधमसिंह नगर जिले के खंड रुद्रपुर में विगत वर्षों से आरटीई के एडमिशन को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। यह विषय शिक्षा विभाग के लिए गले की हड्डी बन चुका है। चर्चाओं की सच्चाई खोज निकाली हमारे संवाददाता ने।
जिसके बाद इस प्रकरण में रुद्रपुर की तहसील भी शक के घेरे में आ गई है। शहर के ऐसे व्यक्तियों के भी आय प्रमाण पत्र 4, 5 और 6 हजार रुपये तक के बना दिए गए हैं, जो की इस दायरे में दूर-दूर तक नहीं आते। आपको बताते चलें कि, शहर रुद्रपुर में आरटीई के एडमिशन को लेकर शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर बहुत बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है, जो कि मा० शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के निवास से कुछ ही कि०मी० दूर और जनपद मुख्यालय में ही है ।
सोचनीय विषय है कि, उत्तराखंड को शिक्षा का हब कहा जाता है, जब यहां यह हाल है, तो अन्य जिलो में क्या हाल होगा? इस विभाग का भगवान ही मालिक है। क्योंकि वर्तमान में खंड रुद्रपुर में आरटीई के एडमिशन को लेकर आर.टी.आई. कार्यकर्ता किरण सिंह विर्क द्वारा दिनांक- 26/07/2021 को डीएम साहब को प्रेषित शिकायत पत्र के बाद यह सामने आया कि, इस शहर के बड़े-बड़े लोग कूट रचित आय प्रमाण पत्र बनवा कर अपने बच्चों का एडमिशन नगर के नामचीन स्कूलों में करवा कर योजना के पात्रों का हक छीन रहे हैं और सरकार को भारी वित्तीय हानि पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि, गरीब के बच्चे जो सही मायने में इस सीट के हकदार हैं, वही बच्चे आज शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। जिनके लिए सरकार ने ये योजना बनाई है, जिसकी चयन प्रक्रिया में होने वाली प्रणाली में रुद्रपुर उप शिक्षा अधिकारी की भी घोर लापरवाही सिद्ध होती दिखती है। क्योंकि शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे एडमिशनों की गाइडलाइन में निर्देशित किया गया है।
इस प्रकार के समस्त प्रमाण पत्रों की जांच कर ली जाये, जबकि योजना में सबसे महत्त्वपूर्ण बिंदु बच्चे के अविभावक का आय प्रमाण पत्र ही है कि, उसकी आय योजना में दिए गये मानकों के अनुसार है या नहीं? उसकी आय मानक से अधिक तो नही है? इस आरटीई एडमिशन प्रकरण में शिकायतकर्ता द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि, उप शिक्षा अधिकारी ने शहर के नामचीन लोगों के खिलाफ FIR न करवाकर कुछ गिने-चुने लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है।
जबकि ऐसे लोगों को बिल्कुल नहीं छेड़ा गया है। जिनका इस योजना से आय के अंतर्गत दूर तक का कोई रिश्ता नहीं बनता है। अर्थात इस श्रेणी की आय से कहीं अधिक आय वाले हैं। इतना ही नहीं जानकारी में तो यह भी आया है कि, लाखों का बिजनेस करने वाले, लग्जरी कारों में AC लगी कोठियों में रहने वाले लोगो के बच्चे भी इस योजना के अंतर्गत शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और वो भी नगर के उच्च श्रेणी के तमाम स्कूलों में!
इस गरीब मार प्रकरण में सम्बंधित तहसील को भी पाक साफ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि आय प्रमाण पत्र उनके यहां से ही पटवारी तथा अन्य की जांचोंपरांत सन्तुष्ट होने की दशा में ही जारी किया जाता है, तो फिर ऐसा केसे हुआ। क्योंकि इस बात की क्या गारंटी है कि सैकड़ों लोगों को जारी आय प्रमाण पत्रों में और भी प्रमाण पत्र कूट रचित नहीं होंगे ? तथा क्या अधिक आय वाले लोगों के कम आय के प्रमाण पत्र नहीं बने होंगे?
यहां ये भी आश्चर्य जनक ही है कि, शिक्षा विभाग ने केवल ऐसे 9 लोगों पर ही FIR किस आधार पर उनका चयन करके कराई ? जबकि सूत्रों के अनुसार मोटे पेट वालों को शिक्षा विभाग ने जानबुझ कर छोड़ दिया है। सवाल उठता है कि, ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ तहसील प्रशासन को भी मुकदमा लिखाना चाहिए था, ताकि तहसील की साख पर बट्टा न लगे। किन्तु तहशील ने चुप्पी साध ली।
हस्तक्षेप को प्राप्त वर्ष 2016 की ऐसे ही एडमिशनों कि 109 लोगो की एक सूची बताती है कि, नगर के तमाम धनपति जैसे बहुत बड़े टेंट हॉउस के स्वामी तक के बच्चे इस योजना में अपने बच्चों को नगर सर्वोच्च स्कूलों में पढा कर गरीबों का हक लूट रहे हैं।
यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि, आखिर शिक्षा विभाग ने केवल 9 लोगों के विरुद्ध ही FIR करा इति श्री क्यों कर ली, और धनपतियों को क्यों बख्श दिया। इस प्रकरण में जब कार्यवाही की जानकारी के लिए जिला शिक्षा अधिकारी से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।
अब देखना यह होगा कि, इस प्रकरण में शामिल धनपतियों पर विभाग कब कार्यवाही करता है या इन 9 लोगों पर गाज गिरेगी। हमारी टीम ऐसे लोगों के प्रमाण एकत्र कर रही है शीघ्र ही पढ़ियेगा उनके नामो का खुलासा। जिन लोगों ने अपनी आय को छुपाते हुए कम आय का प्रमाण पत्र बनाकर लाभ ले रहे हैं।